मोदी सरकार के चार साल बहुत जल्द बीत गये. अब पांचवां साल है, जिसमें बहुत कुछ करना होगा. आज भी महंगाई, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि दर और प्रदूषण बड़ी समस्या हैं. दूसरी ओर नोटबंदी, जीएसटी और पेट्रोल-डीजल पर वसूले जा रहे टैक्स से खजाना लबालब है.
यानी धन की कमी नहीं है. इस धन को जनता की सुविधाओं, पर्यावरणीय सुरक्षा और रोजगार सृजन जैसे उपायों पर खर्च किया जा सकता है. हर विभाग में पहले ही लाखों पद खाली पड़े हैं. जनसंख्या नियंत्रण की चुनौतियां तमाम उपायाें के बावजूद कम नहीं हो रही हैं.
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल आम आदमी के लिहाज से पहले से ज्यादा खराब है. आधारभूत संरचना के विकास के नाम पर भवन निर्माण और उपकरण खरीद ताे हो रही है, मगर समुचित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं जिला स्तर पर भी उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को बचे हुए एक साल में बहुत कुछ करना होगा.
वेद मामूरपुर, नरेला.