भारतीय एथलिटों ने जिस तरह से शानदार खेल का प्रदर्शन करके गोल्ड कोस्ट ओलंपिक में 66 तमगा हासिल किया, वह गर्व की बात है. खासकर बेटियों ने जिस प्रकार से प्रदर्शन करके लड़कों को टक्कर दी, वह एक सबक है हमारे समाज के उन लोगों के लिए, जो बेटियों को बोझ समझकर उन्हें भ्रूण में ही मार देते हैं.
हमारे देश की बेटियों ने इस बार मुक्केबाजी, बैडमिंटन, निशानेबाजी, कुश्ती के क्षेत्र में दिग्गजों से मुकाबला कर गोल्ड दिलाया है, जो इस बात का प्रमाण है कि बेटियां अब पीछे मुड़कर देखना नहीं जानतीं, वे बस जूझना जानती हैं, हरेक परिस्थिति से. जवाब देना जानती हैं, उन लोगों को, जो उन्हें आज भी भेदभाव वाली नजरों से देखते हैं.
साइना नेहवाल, मेरी काॅम, पूनम यादव जैसी बहादुर बेटियों ने अविश्वसनीय खेल का प्रदर्शन करके देश को पीले तमगे से नवाजने के साथ-साथ पुरुषवादी सोच पर भी चोट की है. 26 गोल्ड मेडल में से 12 मेडल बेटियों ने जीते हैं. यह पुख्ता करता है कि बेटियां दिन-ब-दिन बेटों पर हावी हो रही हैं.
गौरव गोस्वामी,जामताड़ा