तेल का कीमत ने अब लोगों को रुलाना शुरू कर दिया है. सरकार को भले ही इस बात का अहसास न हो, मगर देश के कई भागों में पेट्रोल 85 एवं डीजल 68 रुपये को पार कर गयी है. सरकार ने चालकी के साथ मूल्य निर्धारण को खरीद मूल्य के साथ जोड़ दिया है. इससे जनता फटेहाल है, वहीं सरकार एवं तेल कंपनियां मालामाल हो रही हैं.
जब दाम कम हो रहे थे, तो डीजल में 13 रुपये एवं पेट्रोल में 14 रुपये के करीब उत्पाद शुल्क लगाकर मूल्य को कम होने नहीं दिया. जीएसटी में तभी इसे लाया जायेगा जब 120 फीसदी कर का एक और स्लैब बना दिया जाएगा. कोई भी सरकार कितने भी बड़े दावे क्यों न कर ले, जब तक गरीब की थाली में सस्ता भोजन वह नहीं परोसेगी, तब तक अच्छी कहलाने के लायक नहीं होगी.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से