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संस्थाएं जवाबदेह बनें
हाल ही के पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले ने सरकार के कामकाज पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. मोदी सरकार बनने के साथ ही प्रधानमंत्री ने स्वयं को एक चौकीदार की भूमिका निभाने वाला बताया था. सरकार के चार वर्षों के कार्यकाल में ऐसा कोई परिवर्तन होता दिखाई नहीं दिया, जो यह दावा कर सकें […]
हाल ही के पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले ने सरकार के कामकाज पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. मोदी सरकार बनने के साथ ही प्रधानमंत्री ने स्वयं को एक चौकीदार की भूमिका निभाने वाला बताया था.
सरकार के चार वर्षों के कार्यकाल में ऐसा कोई परिवर्तन होता दिखाई नहीं दिया, जो यह दावा कर सकें कि प्रधानमंत्री की चौकीदारी ने फलां-फलां क्षेत्र में अराजकता या भ्रष्टाचार को कम कर दिया है. मुद्दे की बात यह है कि किसी एक नेता का भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रण ले लेना स्वागत योग्य हो सकता है, परंतु भ्रष्टाचार एक संस्थागत कुरीति है, जिसके लिए संस्थाओं को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. इसके लिए नियमों के पूर्ण रूप से पालन हेतु कठोर कदम अति आवश्यक है.
हरिश्चंद्र महतो, इमेल से.
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