22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सोच-समझ कर बढ़ाएं संबंध

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन की तीन दिवसीय भारत यात्रा संपन्न हो गयी. सामरिक एवं आर्थिक समझौते हुए. फ्रांस का यह आग्रह कि यूरोप में हमारा प्रवेश द्वार लंदन के स्थान पर पेरिस को बना लेना चाहिए, उचित नहीं लगता. इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. ब्रिटेन औपनिवेशिक शक्ति जरूर था, मगर फ्रांस के जैसा क्रूर […]

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन की तीन दिवसीय भारत यात्रा संपन्न हो गयी. सामरिक एवं आर्थिक समझौते हुए. फ्रांस का यह आग्रह कि यूरोप में हमारा प्रवेश द्वार लंदन के स्थान पर पेरिस को बना लेना चाहिए, उचित नहीं लगता.
इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. ब्रिटेन औपनिवेशिक शक्ति जरूर था, मगर फ्रांस के जैसा क्रूर एवं दरिंदा कभी नहीं रहा है. आज भी फ्रांस 14 अफ्रीकी देशों से औपनिवेशिक कर वसूल करता है. इतना ही नहीं उनमें से कई देशों की राष्ट्रीय आय फ्रांस के केंद्रीय बैंक में रखी जाती है. जिसको जैसी जरूरत होती है, फ्रांस उन्हें उन्हीं का पैसा लौटाता है. मगर मालिकाना हक आज भी फ्रांस के पास है.
फ्रांस की क्रूरता का मिसाल यह है कि 1958 में गिनी ने जब आजाद होने की इच्छा जाहिर की, तो फ्रांसीसी सैनिकों ने उन तमाम इमारतों में आग लगा दी, जिनका निर्माण इनके औपनिवेशिक काल में हुआ था. फ्रांस से संबंध जरूर बढ़ाना चाहिए, मगर उसकी अमानवीय छवि के बारे में भी एक बार सोच लेना चाहिए.
जंग बहादुर सिंह, इमेल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें