21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कुर्मी को शामिल करना गलत होगा

आजकल झारखंड में कुर्मी समुदाय के लोगों के द्वारा अपने को आदिवासियों की सूची में शामिल किये जाने को लेकर जोरदार अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें कुछ राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हैं. कुर्मी समुदाय के लोगों का तर्क है कि उनकी जाति 1913 तक आदिवासियों की सूची में थी. 1931 में एक […]

आजकल झारखंड में कुर्मी समुदाय के लोगों के द्वारा अपने को आदिवासियों की सूची में शामिल किये जाने को लेकर जोरदार अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें कुछ राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हैं.
कुर्मी समुदाय के लोगों का तर्क है कि उनकी जाति 1913 तक आदिवासियों की सूची में थी. 1931 में एक साजिश के तहत उसे सूची से हटा दिया गया. यहां सवाल है कि ब्रिटिश शासन काल में किसने साजिश की? तथ्यों के अनुसार पहली बार जनगणना 1872 हुई, जिसमें 18 जनजातियों को अनुसूचित श्रेणी में शामिल किया गया था. 1931 की जनगणना में इनकी संख्या बढ़कर 26 हुई, जिसमें किसान जाति को हटाया गया था.
1941 में बैगा, बेदिया और लोहरा को सूची में शामिल किया गया और बनजारा जाति को हटाकर किसान को पुन: शामिल कर लिया गया. इस तरह कुल संख्या 29 हो गयी. 1956 में बनजारा को और 2003 में कंवर व कोल जाति को भी शामिल किया गया, जिससे कुल संख्या 32 हो गयी. यही संख्या आजतक बनी हुई है. कुर्मी समुदाय के लोग तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. यह गलत है. आदिवासी सिर्फ एक जाति नहीं, बल्कि एक संस्कृति भी है.
धीरेंद्र प्रसाद, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें