राज्य सरकार के द्वारा जिला समाहरणालय भवन का निर्माण कर जिले के विभिन्न सरकारी दफ्तरों को एक साथ एक ही प्रांगण में कार्य करने का प्रयास सराहनीय पहल है. इससे सुदूर इलाकों से आये हुए आम लोगों को निश्चित रूप से ज्यादा भागदौड़ से राहत मिल गया है.
पर गांव-देहात से आये लोगों को जानकारी के अभाव में शौच आदि के लिए वहीं दीवार किनारे का ही सहारा आज भी लेना होता है, क्योंकि शौचालय लोगों को दिखता नहीं है, क्योंकि वह है ही नहीं. ‘जो दिखता है, वही बिकता है’ वाली बात है.
लोगों की प्यास बुझाने के लिए चाय पानी के लिए भी सरकारी कैंटीन की व्यवस्था प्रांगण में नहीं है, जहां लोगों को उचित दाम पर चाय-पानी भी मिल सके. मैं जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि सभी जिला समाहरणालय भवन के प्रांगण के अंदर ही सार्वजनिक शौचालय तथा सरकारी कैंटीन की व्यवस्था की जाये.
नवल किशोर सिंह, इमेल से