प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की पुस्तक ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर- द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ के आने के पहले से ही पूरा देश यह महसूस करता आ रहा है कि सत्ता का केंद्र प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि दस जनपथ है. इस पुस्तक ने इस धारणा को मजबूती प्रदान करने का कार्य किया है.
निस्संदेह, प्रधानमंत्री पद की गरिमा को चोट पहुंची है. ऐसी शिष्टता व विद्वता किस काम की कि पद की चाह में हम अपना स्वाभिमान तहस-नहस कर दें. संजय बारू और पीसी पारेख की पुस्तकों के सामने आने के बाद पूरा देश ‘मजबूर नहीं, बल्कि मजबूत’ प्रधानमंत्री चाह रहा है. चुनावी सर्वेक्षणों से अनुमान लगाया जा रहा है कि इस चुनाव के बाद कांग्रेस भारतीय राजनीति के हाशिये पर चली जायेगी, लेकिन आनेवाली नयी पार्टी को भी जनता का दिल जीतना होगा, तभी वो टिक पायेगी.
राजा वर्मा, टाटीसिलवे