लोकसभा चुनाव संपन्न होने के कगार पर हैं. अब सबके मुंह से यही सुनने को मिलता है कि ये 16 मई कब आयेगी, मोदी जी कब आयेंगे. हर कोई गुनगुना रहा है- मोदी जी आने वाले हैं, अच्छे दिन आने वाले हैं.
मैं यह पूछना चाहता हूं कि आखिर मोदीजी कोई जादूगर हैं क्या जो अच्छे दिन आ जायेंगे! बस जादू की छड़ी घुमाई और अच्छे दिन आ गये? ऐसा कुछ नहीं होने वाला. नरेंद्र मोदी कोई जादू नहीं करनेवाले. वह एक आम इनसान हैं, जिसने अपने कर्मो और इच्छाशक्ति से यह स्थान प्राप्त किया है. कर्म और इच्छाशक्ति ही व्यक्ति को सम्मान दिलाता है.
अब रही बात अच्छे दिन की, तो वो शायद आने ही वाले हैं. क्योंकि चुनाव बाद अगर देश में स्थिर और दृढ़ सरकार बनी, जिसकी संभावनाएं प्रबल हैं, तो अच्छे दिन जरूर आयेंगे. लेकिन मोदी ने जिस तरह से 2002 से अब तक सब्र का बांध अपने मन में बांध कर विकास का कार्य किया है उसी तरह हम सब भी अपने अंदर सब्र का बांध बांध कर देश के विकास में नयी सरकार का हाथ बटायें और कर्तव्य पूरा करते रहें क्योंकि एक अकेला चना भांड नही फोड़ सकता. हर किसी को अपने हिस्से का काम ईमानदारी से करना चाहिए और आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति रखनी चाहिए.
आपके बस इतने ही योगदान से देश का भला हो जायेगा. मोदी भी हाड़-मांस के ही बने हुए विधाता के पुतले हैं जो एक दिन मिट्टी में मिल जायेंगे. उसके बाद क्या होगा, क्या देश का विकास रु क जायेगा! अगर मोदी नहीं आये तो क्या अच्छे दिन नही आयेंगे? किसी मोदी से कामना रखने से अच्छा अपने अंदर के विकास पुरुष को पहचानना है. अपने अंदर के विकास पुरुष को जगाओ और देश के उत्थान में हाथ बटाओ. हाथ पर हाथ धरे बैठने से अच्छे दिन नहीं आनेवाले हैं.
सौरभ मिश्र, बोकारो