चुनाव के इस दौर में भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के एक बेकार स्वरूप का भी उदय होता नजर आ रहा है जहां कुछ नेता बेमतलब, बेसिर-पैर व उत्तेजक बयानों से जनता को गुमराह करने व लोकतंत्र को शर्मसार करने का काम कर रहे हैं.
यह सब भी चलने लायक है लेकिन किसी क्षेत्र विशेष या उसकी जनता पर किसी तरह का विवादास्पद बयान जो उस क्षेत्र की अस्मिता या अस्तित्व को संदेहास्पद बनाये, लोकतंत्र के परिप्रेक्ष्य में अमान्य हैं. हाल ही में बिहार व बिहारियों पर दिये गये कुछ बड़े दल के नेताओं के बेकार बयान बिहार व बिहारियों के गौरव पर एक चोट हैं.कभी कोई बिहार को आतंकवादियों का गढ़ कहता है, तो कभी कोई नेता बिहारियों के डीएनए में जातिवाद घुसे होने की बात कहता है. कोई हमारे अस्तित्व को चुनौती दे, यह हमें कतई मंजूर नहीं.
आशुतोष रंजन, ई-मेल से