आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करते हुए चुनाव आयोग ने जब राष्ट्रपति के पास रिपोर्ट भेजी, तब आप के नेताओं द्वारा खूब हाय-तौबा मचाया गया. यह सही नहीं था. लाभ के पद पर रहने की वजह से पहले भी विधायकों और सांसदों पर कार्रवाई हुई है.
यूपीए के समय 2006 में लाभ के पद का विवाद होने के कारण ही सोनिया गांधी को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर दोबारा रायबरेली से चुनाव लड़ना पड़ा था. इसी तरह, 2006 में ही जया बच्चन की भी सदस्यता चली गयी थी, जबकि श्रीमती बच्चन ने सुप्रीम कोर्ट भी गयीं थीं. फिर ऐसी परिस्थिति में आप जनता को क्या बताना चाह रही थी? अब तो राष्ट्रपति ने भी आयोग की अनुशंसा पर मुहर लगा दी है. सच यही है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है.
संतोष सिन्हा, रामगढ़