पटना मेडिकल कालेज के प्राचार्य की एक मरीज के साथ छेड़खानी के मामले में गिरफ्तारी के बाद से डाक्टर-मरीज के रिश्तों पर सवाल गहरे हो गये हैं. डाक्टर का कहना है कि उनके खिलाफ उनके साथी डाक्टरों ने ही साजिश रची है. अगर, यह सच है तो खतरनाक है. अपना हिसाब चुकता करने के लिए मरीज के भेष में साजिश रचने की घटना से डाक्टरों के प्रति जो सम्मान है, वह तो खत्म होता ही है.
साथ ही इस घटना से सबक लेकर डाक्टर के सामने भी सभी मरीजों पर शक करना मजबूरी बन जायेगी. मेडिकल कालेज के प्राचार्य के मामले में अब तक पुलिस ने जांच रिपोर्ट नहीं दी है. जांच रिपोर्ट में अगर डाक्टर पर लगे आरोप सच पाये जाते हैं, तो मरीजों का अपने डाक्टर पर विश्वास करना नामुमकिन हो जायेगा. डाक्टर के पास मरीज और उसके परिजन बहुत ही विश्वास से जाते हैं. यह विश्वास अगर टूट जायेगा, तो हर मरीज अपने डाक्टर के पास जाने से डरेगा. महिला मरीजों के मामले में तो परिजन अतिसर्तकता बरतेंगे.
हर डाक्टर की नीयत पर शक किया जायेगा. इससे इलाज का पूरा काम कितना प्रभावित होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है. इसी तरह अगर मरीज ने किसी साजिश का हिस्सा बन कर डाक्टर को बदनाम करने की कोशिश की है, तो इससे भी डाक्टरों के सामने हर मरीज का इलाज से पहले यह पता करना जरूरी होगा कि वह किसी साजिश के तहत तो नहीं आया है. बड़े शहरों में अब डाक्टरों ने अपने क्लिनिक में कैमरे लगा रखे हैं. लेकिन कई बार ऐसे भी मौके आते हैं, जब मरीज के उन अंगों की पड़ताल भी डाक्टर करते हैं, जिन्हें कैमरे में रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता है.
ऐसे मामले में डाक्टर व मरीज का भरोसा ही काम आता है. अगर, यह भरोसा टूट जायेगा, तो इलाज करना और करवाना दोनों ही मुश्किल होगा. इस पूरे मामले में पुलिस को तेजी से जांच करके यह बताना चाहिए कि आखिर कसूर किसका है. अगर डाक्टर की गलती है, तो उस पर कार्रवाई होनी ही चाहिए. अगर मरीज किसी साजिश का हिस्सा है, तो साजिश रचनेवालों को भी नहीं बख्शना चाहिए. अमूमन इस तरह के मामले में पुलिस जांच रिपोर्ट में बहुत ही सुस्ती बरतती है. वह समय के मरहम का इंतजार करती है, जो बहुत ही खतरनाक होता है.