जनवरी का महीना है और मौसम का मिजाज अपने सर चढ़ कर बोल रहा है. जहां पूरा भारत थरथराता नजर आ रहा है, वहीं झारखंड में भी पारा दो से छह के बीच रह रहा है. उत्तर भारत की हालात सबसे बुरी है. सिर्फ दिल्ली में ठंड से 44 मौत हो चुकी है. झारखंड में गरीबी अभी तक वैसा का वैसा ही है.
ठंड में इन गरीबों को देखने वाला कोई नहीं है. जहां सांसों में शीतलहर दौड़ रही, वहीं जिला प्रशासन ठंडा सा पड़ गया है. जहां सरकार की तरफ से एलान पे एलान किया जाता है और जिसके लिए करोड़ों रुपये दिये जाते हैं, लेकिन ये वादे और करोड़ों रुपये कहां चले जाते हैं, इसकी कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं, जो गरीबों तक नहीं पहुंच पाता है. अगर कहीं गरीबों को मदद मिल रही है, तो वो संस्थानों से मिल रही है, जिला प्रशासन की तरफ से नहीं. जिला प्रशासन को कम से कम रैन बसेरों का खास ख्याल रखना चाहिए.
मो नौशाद आलम, धनबाद, इमेल से