केसी त्यागी
राष्ट्रीय प्रवक्ता, जदयू
शराबबंदी के सफल क्रियान्वयन के बाद बिहार अब दहेज प्रथा, बाल विवाह, भ्रूणहत्या जैसे सामाजिक अभिशापों के विरुद्ध एकजुट हो रहा है. अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरी दुनिया में अनोखी पहचान रखनेवाला बिहार फिर से सामाजिक न्याय का प्रतीक बना है. अशोक महान के इस प्रदेश में ‘सुशासन’ के बाद सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार अब सरकारी एजेंडों में शामिल हो चुका है.
दहेज प्रथाः एक अभिशाप, नवजात कन्या शिशु सुरक्षा, बाल विवाहः एक कानूनी अपराध, नशा मुक्ति अभियान, अल्पसंख्यक कल्याण के कदम, लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून और सबसे महत्वपूर्ण सात निश्चयः विकास की गारंटी जैसे आर्थिक-सामाजिक अभियानों से सरकार के प्रति जनता के विश्वास में अतुलनीय वृद्धि सशक्त शासन एवं मजबूत नेतृत्व का संकेत है. पिछले 10 वर्षों में आर्थिक-सामाजिक बुलंदियों को छूते हुए बिहार कई मोर्चों पर देश के लिए उदाहरण भी बना है. ‘ईज आॅफ डुईंग बिजनेस’ को लेकर किये गये सुधार के कदम की देशभर में सराहना हुई है.
शराबबंदी से सरकारी राजस्व की लगभग 5,000 करोड़ की आमदनी जरूर बाधित हुई है, लेकिन विनिर्माण, बिजली, गैस और जल आपूर्ति, व्यापार, मरम्मत, होटल-रेस्टोरेंट, परिवहन, भंडारण एवं संचार के क्षेत्र में विकास की रफ्तार 14 से 17 फीसदी के उत्साहवर्द्धक स्तर पर है.
पिछले आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार की विकास दर 7.6 फीसदी है, जो कि राष्ट्र्ीय विकास दर 6.8 से अधिक है. 4.14 लाख करोड़ सकल राज्य घरेलू उत्पाद वाले राज्य के प्रति व्यक्ति आय में लगभग 10 हजार की बढ़ोतरी अन्य राज्यों के लिए प्रेरणास्रोत भी है. पिछले पांच वर्षों के दौरान बिहार के राजस्व में 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
इसी दौरान सामाजिक विकास की दिशा में सरकारी व्यय में लगभग दोगुना का इजाफा जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रति सरकार की विशेष प्रतिबद्धता परिलक्षित करती है.
पूर्ण शराबबंदी से समाज अधिक सशक्त, स्वस्थ तथा संयमी हुआ है.
इसका सीधा असर नागरिकों के स्वास्थ्य में बेहतरी, आर्थिकी में सुधार, पारिवारिक हिंसा, घरेलू कलह तथा गली-माेहल्लों में होनेवाले अपराध आदि पर नियंत्रण करने पर पड़ा है. शराबबंदी के बाद लीवर, हृदय व सड़क दुर्घटना के मरीजों की संख्या में लगभग 50 फीसदी की कमी आंकी गयी है. शराबबंदी लागू होने से सड़क दुर्घटनाओं और इनसे होनेवाली मौतों में लगभग 60 फीसदी की कमी हुई है.
बिहार अब दहेज प्रथा एवं बाल विवाह के खिलाफ मोर्चा खोल चुका है. गत वर्षों में लगभग 20 से 30 फीसदी विवाह ‘बाल विवाह’ के दायरे में होते आ रहे हैं, जिससे खासकर बालिकाओं एवं उसके बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर हो रहा है. बीते 10 वर्षों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ने से इसमें करीब 30 फीसदी की कमी आयी है, पर इसके पूर्ण सफाये हेतु मौजूदा अभियान प्रासंगिक है.
शादियों में ‘दहेज’ का ‘स्टेटस सिंबल’ के तौर पर खूब इस्तेमाल होता है. दहेज का प्रचलन लाखों भ्रूणहत्याओं का जिम्मेदार है. देश में पिछले 10 वर्षों के दौरान औसतन प्रत्येक घंटे दहेज हत्या हुई है. महिला अपराध में बिहार का 26वां स्थान राहतपूर्ण जरूर है, लेकिन दहेज से जुड़ी हिंसा में दूसरे पायदान पर होना वर्तमान अभियान को और मजबूत करने को प्रेरित करता है.
गांधी, राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती आदि के रास्ते चलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रथा के खात्मे को कृत संकल्पित हैं. बिहार पहला राज्य है, जहां महिलाओं को पंचायती राज संस्थानों एवं नगर निकायों में 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है. इस पहल से राज्य की महिलाएं काफी सशक्त हुई हैं.
राज्य के घरेलू हिंसा में भी लगभग 16 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है. वर्ष 2013 में बिहार पुलिस में महिलाओं को 35 फीसदी का आरक्षण प्रदान किया जाना उनकी सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण है. सभी सरकारी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा वर्ष 2016 में सभी सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी का आरक्षण की संस्तुति एक मिसाल है.
पिछले कार्यकाल के दौरान लगभग 40 लाख बालिकाओं को साईकिल व पोशाक प्रदान कर स्कूली शिक्षा को प्रोत्साहित करने का श्रेय भी इसी सरकार को है. किसी भी राज्य में इतने कम समय में शिक्षा, सड़क, बिजली, चिकित्सा एवं सुशासन के क्षेत्र में इतना विकास नहीं हुआ है, जितना पिछले वर्षों में यहां देखने को मिला.
बिहार राज्य सड़क विकास निगम तथा ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 66,000 किमी का राष्ट्रीय एवं राजमार्ग, जिला स्तरीय व ग्रामीण सड़कों का निर्माण के साथ अन्य जर्जर सड़कों का नवीनीकरण किया गया.
21,087 नये प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण तथा 19,581 प्राथमिक विद्यालयों की माध्यमिक विद्यालयों में तब्दीली बड़ी उपलब्धि है. विद्यार्थियों को सरकारी गारंटी पर चार लाख तक का क्रेडिट कार्ड, आरक्षित रोजगार के तहत महिलाओं को विशेष अधिकार, हर घर बिजली लगातार, हर घर नल का जल, पक्की नली-गली, शौचालय निर्माण एवं युवाओं हेतु अवसर बढ़ाने का कार्य जोरों पर है.
तमाम राजनीतिक गतिरोधों के बावजूद सरकार ‘सात निश्चय‘ को धरातल पर उतारने को संकल्पित है. विश्वास है कि बिहार प्रत्येक मोर्चे पर अपना कीर्तिमान स्थापित कर देश को ‘अपना माॅडल’ प्रदान करेगा.