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भाजपा का राष्ट्रवाद

आकार पटेल कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया गुजरात का चुनाव भारतीय जनता पार्टी की साफ तौर पर जीत थी. ऐसा क्यों हुआ, हम इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन परिणाम स्पष्ट थे. पिछले 20 वर्षों से गुजराती मतदाताओं ने जिस तरह मतदान किया है, ताजा चुनाव नतीजे उसी के अनुरूप हैं. कांग्रेस के […]

आकार पटेल
कार्यकारी निदेशक,
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
गुजरात का चुनाव भारतीय जनता पार्टी की साफ तौर पर जीत थी. ऐसा क्यों हुआ, हम इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन परिणाम स्पष्ट थे. पिछले 20 वर्षों से गुजराती मतदाताओं ने जिस तरह मतदान किया है, ताजा चुनाव नतीजे उसी के अनुरूप हैं. कांग्रेस के मत प्रतिशत में इजाफे को देश में बड़े पैमाने पर कुछ होने का संकेत या रुझान मानने के लिए हमें अभी और आंकड़े और दूसरे राज्यों में होनेवाले चुनावाें और उसके परिणामों की प्रतीक्षा करनी होगी.
यहां इस बात की पड़ताल करने की स्पष्ट जरूरत है कि आखिर क्यों कई लोग इस बात की उम्मीद लगाये बैठे थे कि गुजरात चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी या भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर गुजरात चुनाव क्यों नहीं जीतेगी. ऐसे लोगों को आम तौर पर मोदी आलोचक कहा जाता है, हालांकि यह अस्पष्ट है कि इसका मतलब क्या है.
मैं वंशवादी राजनीति का बचाव करनेवाले बहुत ज्यादा लोगों से नहीं मिला हूं. इसलिए हमें सोचना चाहिए कि वे लोग, जो भारतीय जनता पार्टी की एक और जीत से चिंतित हैं, सकारात्मक अर्थों में कांग्रेस के समर्थक नहीं हैं. वे किन्हीं और बातों से चिंतित हैं. यहां प्रश्न है कि आखिर वह बात क्या है? तो इसका सीधा उत्तर है धार्मिक राष्ट्रवाद, जिसे जान-बूझकर भारतीय जनता पार्टी आगे बढ़ाती है.
राष्ट्रवाद कई प्रकार के हो सकते हैं. आपके पास समग्र राष्ट्रवाद हो सकता है, जिसमें सभी धर्म, समुदाय और क्षेत्र के लोग शामिल हों. इसमें भारतीय जनता पार्टी माहिर नहीं है. राष्ट्रवादी भावना के साथ क्या एक नागा या मिजो महिला गर्व के साथ अपनी भारतीय पहचान पर दृढ़ रह सकती है?
जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रवाद को एक खांचे में फिट किया है, उस खांचे में व्यक्ति केवल हिंदी में नारा लगाना (जैसे भारत माता की जय) और गोमांस खाने, जो हजारों सालों से उनका पारंपरिक भोजन रहा है, पर रोक लगाने का काम कर सकता है.
क्या केरल का मुसलमान भारतीय पहचान रख सकता है? धार्मिक राष्ट्रवाद के साथ ऐसा तभी संभव है, जब वह किसी हिंदू महिला के साथ प्रेम न करने का वचन देगा. भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीयता सभी भारतीयों के लिए नहीं है. यह केवल विशिष्ट प्रकार के भारतीयों के लिए है.
यहां तक कि इस बात को कुछ भारतीय भी पसंद नहीं करते हैं. मैं उत्तर भारत का हिंदू पुरुष हूं (मान लीजिए कि गुजरात उत्तर भारत में है, हालांकि यह वाद-विवाद का विषय है). मैं इस प्रकार की राष्ट्रीयता का हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं, जो दूसरे भारतीयों को इससे बाहर रखता है. सामान्य तौर पर बोले जानेवाले सभी प्रकार के राष्ट्रवाद से मुझे परेशानी है, क्योंकि उनका इस्तेमाल एक समूह को दूसरे समूह के खिलाफ लामबंद करने के लिए किया जाता है.
और इसके बाद दूसरे समूहों का जिस तरह से मजाक उड़ाया जाता है और उन्हें बुरा बताया जाता है, उसे मैं घृणास्पद मानता हूं. राष्ट्रवाद आमतौर पर हिंसा को बढ़ाता है और इसलिए इसे बहुत सावधानी से संभाला जाना चाहिए. लेकिन, राष्ट्रवाद के समूहों के बीच मैं धार्मिक और जातीय राष्ट्रवाद को खास तौर से घृणित और खतरनाक मानता हूं और विशेष तौर पर हमारे क्षेत्र में जो राष्ट्रवाद है, उसे मैं खतरनाक मानता हूं. मुझे पाकिस्तान का मुस्लिम राष्ट्रवाद पसंद नहीं है. मैं चीन के हान राष्ट्रवाद को पसंद नहीं करता हूं.
अनेक भारतीय मेरी तरह ही सोचते व महसूसते हैं और इसलिए वे भारतीय जनता पार्टी को भय के तौर पर देखते हैं. किसी एक धर्म पर आधारित राष्ट्रवाद का आप विरोध कर सकते हैं और मेरी तरह बहुजन समाज पार्टी का मतदाता हो सकते हैं.
आप तृणमूल कांग्रेस के मतदाता हो सकते हैं या आम आदमी पार्टी के समर्थक हो सकते हैं या एनसीपी, टीडीपी, पीडीपी, जदयू, सीपीएम या किसी भी दल के समर्थक हो सकते हैं. लेकिन, अगर आप भारत में कहीं भी हो रहे धार्मिक राष्ट्रवाद के समर्थक हैं, तो आप भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करेंगे.
केवल यही एक दल है, जो अपने प्राथमिक एजेंडे के तौर पर जान-बूझकर इसे आगे बढ़ाता है. यही वजह है कि जो लोग, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हों, इसकी गतिविधियों व इसकी वाक्पटुता और यह देश को जो नुकसान पहुंचाता है, उससे चिंतित हैं, वे गुजरात में इस दल का पतन देखना चाहेंगे.
अगर आप धार्मिक राष्ट्रवाद को अलग कर दें, तो पायेंगे कि भारतीय जनता पार्टी की नीतियां दूसरे दलों से बहुत अलग नहीं हैं. मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं कि ये आम नीतियां अच्छी हैं.
वस्तुत: वे अच्छी नहीं हैं. मानवाधिकार संगठन, जिनके लिए मैं काम करता हूं, से जुड़ी लगभग सभी समस्याएं कांग्रेस के शासनकाल में उत्पन्न हुई हैं. उदाहरण के लिए, सुरक्षाबलों के लिए विशेष कानून आफ्स्पा का इस्तेमाल और आदिवासियों की भूमि पर आपराधिक अतिक्रमण. इन सभी समस्याओं को कम करने की बजाय भारतीय जनता पार्टी बढ़ा रही है.
और इसके आक्रामक धार्मिक राष्ट्रवाद के आगे बढ़ने का नतीजा खबरों के माध्यम से हम रोजाना देख-सुन रहे हैं. गोमांस को लेकर लगातार हो रही हत्या जैसी हिंसा, जिसके बारे में हम अभी पढ़ रहे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी द्वारा जान-बूझकर पैदा की जाती है.
अगर भारतीय जनता पार्टी विशेष रूप से धार्मिक और यहां तक क्षेत्र, जाति व लैंगिक आधार पर भारतीयों को बांटना बंद कर देगी, तो इनमें से ज्यादातर घटनाएं घटनी बंद हो जायेंगी.
हमारे सड़कों पर होनेवाली हिंसा और मीडिया में होनेवाली हिंसा (व्यक्ति विशेष को पाकिस्तान का दलाल कह देना) धार्मिक राष्ट्रवाद की वास्तविक अभिव्यक्ति है. इससे समस्या में तेजी आती है, जिससे हममें से कई लोग मुंह नहीं फेर सकते हैं. मैं इसका अंत चाहता हूं, ताकि भारतीयों को कोई क्षति न पहुंचे और हम गरीबी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी वास्तविक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर सकें.
यह किसी भी चीज से बढ़कर है, यही कारण है कि बहुत से लोग गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को फिर से जीतते देखना नहीं चाहते थे. लेकिन, ऐसा हो गया और हमें इसे स्वीकार करना होगा. अपने समर्थकों के साथ बातचीत शुरू करने की कोशिश करनी होगी और उन्हें हमारे नजरिये को समझने के लिए तैयार करना होगा.

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