भारत में साक्षरता के स्तर के बारे में भले ही बढ़-चढ़कर बातें की जाती रही हैं, परंतु शिक्षा के स्तर पर स्थिति बहुत ही भयावह है. हमारे 15 वर्ष तक के बच्चों में शिक्षा का स्तर इतना नीचे है कि पठन और गणना के लिए चलाये जाने वाले अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने से भी हम हिचकते हैं. अधिकतर बच्चे अपनी कक्षाओं के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं.
कुल मिलाकर भारत ऐसी शिक्षा प्रणाली का अनुसरण कर रहा है, जिसने हमारे युवा वर्ग को पंगु बना दिया है. शिक्षा के अधिकार के साथ प्राइवेट स्कूल सिस्टम ने सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में बहुत ज्यादा गिरावट दर्ज की है. भारत को चाहिए कि वह अपनी स्कूली शिक्षा को एक महत्वपूर्ण बुनियादी कार्यक्रम का दर्जा देते हुए उसमें रणनीतिक निवेश करे.
हम सदियों से एक विफल शिक्षा प्रणाली को ढोते आ रहे हैं. समय आ गया है, जब हमें विश्व की सफलतम एवं बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था से सीखकर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना होगा.
हरिश्चंद्र महतो, बेलपोस.