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झारखंड सरकार की आत्मप्रशंसा
सरकार के किये गये बेहतरीन कार्यों के लिए जनता से प्रशंसा मिलती है. लेकिन झारखंड सरकार अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही है. राज्य गठन के 17 साल होने जा रहे हैं, परंतु न शिक्षा, न स्वास्थ्य और न ही जनसरोकार के मामलों में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन दिख रहा है. नौकरी पाने के लिए लंबी […]
सरकार के किये गये बेहतरीन कार्यों के लिए जनता से प्रशंसा मिलती है. लेकिन झारखंड सरकार अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही है. राज्य गठन के 17 साल होने जा रहे हैं, परंतु न शिक्षा, न स्वास्थ्य और न ही जनसरोकार के मामलों में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन दिख रहा है.
नौकरी पाने के लिए लंबी कतारें लगी हुई है, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कोसों दूर है, सरकारी चिकित्सा गांवों में दम तोड़ती दिख रही है, रोजी-रोटी के लिए राज्य से लोगों का पलायन जारी है.
अापराधिक घटनाएं रुक ही नहीं रही. बिजली-पानी की व्यवस्था जस की तस है. हर क्षेत्र में समस्याएं मुंह बाये खड़ी है. मोमेंटम झारखंड का हाल सामने है. क्या ऐसे ही अच्छे दिन की अपेक्षा झारखंड की जनता को थी? मगर सरकार को आत्मप्रशंसा से फुरसत ही नहीं.
प्रहलाद कुमार, बरोरा, धनबाद
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