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वाह रे, अंधभक्ति तेरी माया अपरंपार

।। बृजेंद्र दुबे।। (प्रभात खबर, रांची) भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की जमीन पर लहर भले ही ठंडी पड़ती दिख रही है, लेकिन मोदी भक्त हैं कि मानने को तैयार ही नहीं. वो मोदी के बारे में जो भी कहें, आप भी हां में हां मिलायें, वरना आपकी खैर नहीं.. जैसे आप […]

।। बृजेंद्र दुबे।।

(प्रभात खबर, रांची)

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की जमीन पर लहर भले ही ठंडी पड़ती दिख रही है, लेकिन मोदी भक्त हैं कि मानने को तैयार ही नहीं. वो मोदी के बारे में जो भी कहें, आप भी हां में हां मिलायें, वरना आपकी खैर नहीं.. जैसे आप ने कोई देशद्रोह कर दिया हो. सोशल मीडिया हो या प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, मोदी भक्त हर जगह ताल ठोंक कर भिड़ते देखे जा सकते हैं.

वे मोदी के पक्ष में ऐसे-ऐसे तर्क गढ़ते हैं कि बड़े विद्वान भी शरमा जायें. यह पहला आम चुनाव है, जिसमें कोई मुद्दा नहीं है. मुद्दा है तो सिर्फ एक. कौन मोदी के साथ है और कौन नहीं. दिखाया ऐसे जा रहा है कि जो मोदी के साथ नहीं है, वह देश के साथ घोर पाप कर रहा है. भगवा दल को दो से 182 तक पहुंचाने वाले बुजुर्ग नेता आडवाणी का पूरा कुनबा किनारे लगाने वाले मोदी भी यह मान चुके हैं कि अब दिल्ली अपनी है.. उनका अंदाज पीएम वाला हो चला है, उनकी हर अदा से लगने लगा है कि 16 मई के बाद उन्हीं को पीएम पद की शपथ लेनी है.

विचारधारा और सिद्धांत की बातें मोदी भक्त अपने हिसाब से तय कर रहे हैं. कोई खुशी-खुशी मोदी को पीएम बनाने में जुटा है, तो जोशी-आडवाणी सरीखे नेता बुढ़ापा खराब न हो, इस मजबूरी में मोदी जाप कर रहे हैं. हमारे गजोधर भाई भी नमो रंग में हैं. तर्क देते हैं.. यार जिसके जितने ज्यादा दुश्मन, वह उतना ही प्रतिष्ठित और योग्य. मोदी ने तो उस कहावत को भी गलत साबित कर दिया है, जिसमें कहते हैं कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता. उन्होंने तो अकेले ही भाड़ फोड़ डाला है. अपनी पार्टी मे जैसा चाहा, किया. चुन-चुन कर कहीं की ईट-कहीं का रोड़ा जुटा कर, भानुमति का कुनबा जोड़ लिया. अपने ताकते रह गये पर आयातित नेता आनन-फानन में भगवा दल के उम्मीदवार बन बैठे. यूपी में तो मजाक ही बन गया है.. पार्टी बदल गयी, प्रत्याशी पुराना वाला ही है.

गजोधर भाई के मुंह से मोदी चालीसा सुन कर मैंने कहा, आप तो गजब हैं भाई, मोदी पीएम नहीं बनेंगे तो क्या देश थम जायेगा. गजोधर बोले, थम नहीं जायेगा मित्र, थम गया है. क्या आपको लग रहा है कि दिल्ली में कोई सरकार है? एक बात और, मोदी भक्तों से भिड़ने के चक्कर में मत पड़ना. नंगों के मुंह लगोगे, तो खुद नंगे हो जाओगे. इसे अटल-आडवाणी वाला भगवा दल समझने की भूल भी मत करना. इसके सारथि बाबा रामदेव सरीखे लोग हैं, जो जिसको जो चाहें, कहें. लेकिन कोई उनके खिलाफ बोल कर देख ले. मैंने कहा, आजकल मोदी केलिए एक अजीब-सी अंधभक्ति दिख रही है. कोई भी बुद्धिजीवी हो या राजनीतिज्ञ, चाहे वह नोबेल प्राइज विजेता हो या पत्रकार.. मोदी के खिलाफ बोले या उनका झूठ पकड़ ले, वह देशद्रोही-दलाल व भ्रष्ट है और अपराधी हो या भ्रष्ट, संदिग्ध हो या लंपट, मोदी की झूठी भी तारीफ कर दे, तो सच्चा देश भक्त. वाह रे अंध भक्ति!

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