22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मंडी का किंग कौन!

मनोज श्रीवास्तव स्वतंत्र टिप्पणीकार बाजार में रौनक होती है या रोना! आज के दौर का यह एक अलहदा सवाल है. आजकल जब राजा आम राजसी चाल से मार्केट में आये, तो टमाटर की रौनक देख खुद की रुलाई बमुश्किल रोक पाये. अपने पुराने दिन और ठाट-बाट की याद से फलों का राजा आम उदासी में […]

मनोज श्रीवास्तव

स्वतंत्र टिप्पणीकार

बाजार में रौनक होती है या रोना! आज के दौर का यह एक अलहदा सवाल है. आजकल जब राजा आम राजसी चाल से मार्केट में आये, तो टमाटर की रौनक देख खुद की रुलाई बमुश्किल रोक पाये. अपने पुराने दिन और ठाट-बाट की याद से फलों का राजा आम उदासी में गर्क हो गया. पहले तो आम का सीजन आते ही आम हाथों-हाथ लिये जाते थे. चारों और आमों की ही चर्चा होती थी. हर घर में आम की ही मौजूदगी. बच्चों की चाहत आम, सभी का प्यार-दुलार आम…

यह सब कुछ सिलसिलेवार राजन आम की आंखों के आगे घूम गया. लेकिन, इस बार उसके लिए कोई जोश-खरोश नहीं! क्योंकि, यह लाल टमाटर अब हॉट केक बना हुआ है. जिधर देखो टमाटर की ही चर्चा है.

हर ग्राहक की पहली नजर उसी को खोज रही है. कम्बख्त दुनिया! अपने इस पहले और आखिरी प्यार को छोड़ मुए टमाटर पर मरी जा रही है, जो टर्राता हुआ पिछले सीजन ट्रक भर-भर कर सड़क पर लुढ़कता फिर रहा था. राजन आम अपनी सब्जी मंडी के इतिहास की पूरी मेमोरी का रस निचोड़ डाले, पर किसी के समय फिरने का इससे बेहतरीन उदाहरण उसे नहीं याद आया. हाय रे समय!

सब समय-समय की बात है, ऐसा सोचते हुए राजन किसी तरह अपने मन को समझाते हुए धीरे से सब्जी मंडी में प्रवेश कर ही गये. उसके लिए कोई जोश-खरोश नहीं, किसी की आंखों में वो उत्साह नहीं! दिलों में बोझ लेकर देखती नजरें एक तरह से उसके गम में गुठली बन कर चुभ रही थी. ओह्ह! किस बेरुखी से इस सब्जी वाले ने मुझे तख्त पर नीचे जमाया है! इस जगह पर तो लौकी-तुरई सजी होती थी, लेकिन यहां आज मैं पड़ा हूं. मैं तो कभी उधर तख्त पर ताउस बनवा कर ऊपर बैठा करता था!

यह सब सोचते हुए राजन ने ऊपर अपने पूर्व स्थान पर नजर दौड़ायी कि तभी उधर से आवाज आयी, ‘मंडी का किंग कौन?’ कल का भीखू टमाटर खींसे निपोर कर राजन आम से पूछ रहा था- ‘मंडी का किंग कौन?’ आवाज तेज हुई, और तेज, और तेज! फिर राजन को पूरी सब्जी मंडी में यही शब्द गूंजते सुनायी दिये- ‘मंडी का किंग कौन?’ भीखू टमाटर…!

कानों पर हाथ रख राजन चौंक उठे, ‘बस करो, अब और नहीं सहा जाता. इस घोर कलयुग में यही दिन देखना बचा था कि राजा के सिर पर मुकुट की जगह टमाटर की फिलिंग जड़ दिया हो. ये आदमी भी कम खुदगर्ज नहीं हैं. आज टमाटर की रंगत के आगे राजा और रंक में फर्क ही भूल गये हैं. राजन लोक-लाज की चिंता में डूबे, तो सोचे कि कल अखबार में खबर होगी- ‘राजन आम, टमाटर के आगे टें बोल गये!’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें