अपनी भारत-विरोधी सोच और गतिविधियों के कारण वह बहुत दिनों से हमारी जांच एजेंसियों की नजर पर है. नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी की ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकियों की सूची में उसका नाम शामिल है. वैश्विक आतंकी करार देने से सलाहुद्दीन की कुछ गतिविधियों पर अमेरिका में पाबंदी आयद हो जायेगी. अमेरिकी गृह विभाग उसे अपने नागरिकों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है.
इसी कारण सलाहुद्दीन पर लगी पाबंदी भारत के लिए भी अहम है. इससे भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहले से कहीं ज्यादा दृढ़ता से कह पायेगा कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को शह देता है और अशांति फैला कर भारत की एकता को तोड़ने की कोशिश करता है. सलाहुद्दीन पाकिस्तान में छुट्टा घूम रहा है और वहां उसको अपने मन की करने-कहने की भरपूर आजादी है. अमेरिकी फैसले के बाद भी उसकी गतिविधियों और सोच पर कोई खास असर पड़ता दिखायी नहीं देता. पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल पर उसने खुलेआम कहा है कि उसके संगठन ने कश्मीर में भारतीय सैन्य बलों पर हमले किये और भारत में उसके संगठन की करतूतों से हमदर्दी रखनेवाले लोग हैं.
पिछले साल उसने कहा था कि वह कश्मीर को भारतीय सैन्य बल की कब्रगाह में तब्दील कर देना चाहता है. हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों की मौजूदगी कश्मीर में ज्यादा है, खासकर दक्षिणी हिस्से में जो फिलहाल उपद्रव का बड़ा केंद्र साबित हुआ है. सलाहुद्दीन पाकिस्तानी कब्जेवाले कश्मीर से अपनी कार्रवाइयों का संचालन करता है और पाकिस्तान में धन जुटाने या खुलेआम सभा करने पर कोई रोक-टोक नहीं है.
सीमा पार से घुसपैठ और युद्धविराम की घटनाओं में आयी तेजी भी पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबों को रेखांकित करती है. सैयद सलाहुद्दीन को पनाह देने और उसकी आड़ लेकर कश्मीर में अशांति फैलाने की पाकिस्तान की कोशिशों की काट के लिए भारत को कूटनीतिक मोर्चे पर सक्रियता जारी रखनी होगी. साथ ही पाकिस्तानी कब्जेवाले कश्मीर के उसके ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई का विकल्प भी खुला रखना होगा.