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Friday, March 29, 2024

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ISRO ने SSLV-D2 किया लॉन्च, जानें इसकी क्या है खासियत, देखें VIDEO

आज इसरो ने SSLV-D2 लॉन्च किया है. एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है. 2 मीटर व्यास वाला यान है. इसका भार 120 टन है. जानें इसकी खासियत के बारे में

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को यहां से उड़ान भरी तथा ईओएस-07 उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित करने का काम किया. अपनी दूसरी विकास उड़ान में एलवी डी2 ने पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी. यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है.

इसरो की ओर से जो जानकारी दी गयी, उसके अनुसार एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. साढ़े छह घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे रॉकेट को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया. इसरो को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन बाजार में सफलता हासिल करने के लिए इस प्रक्षेपण से काफी उम्मीदें हैं.

मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ

पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह और दो सह-उपग्रहों को ले जाने वाले एलवी डी2 को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जा चुका है जिसपर पूरे देश की नजर थी. इसका एक वीडियो सामने आया है. इसरो ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि SSLV-D2/EOS-07 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ. SSLV-D2 ने EOS-07, Janus-1, और AzaadiSAT-2 को उनकी अभीष्ट कक्षाओं में स्थापित किया.

आइए जानते हैं इसकी खास बातें

1. इसरो की मानें तो, एसएसएलवी ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करता है. रॉकेट अंतरिक्ष के लिए कम लागत में बहुत कुछ प्रदान करता है. ये कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को समायोजित करने में फ्लेक्सिबल होता है. न्यूनतम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी ये उपयोगी है.

2. एसएसएलवी 34 मीटर लंबा, 2 मीटर व्यास वाला यान है. इसका भार 120 टन है.

3. रॉकेट तीन solid propulsion चरण में और इसे velocity terminal module के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है.

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4. 8 फरवरी को ISRO की ओर से ट्वीट किया गया था कि “SSLV-D2/EOS-07 मिशन: 10 फरवरी 2023 को श्रीहरिकोटा से 09:18 बजे लॉन्च किया जाएगा. EOS-07, Janus-1 और AzaadiSAT-2 उपग्रहों को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में इंजेक्ट करने का प्रयास है.

5. आपको बता दें कि एसएसएलवी की पहली परीक्षण उड़ान पिछले साल 9 अगस्त को आंशिक विफलता की वजह से विफल हो गयी थी.

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