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1993 में भी हुआ था टिड्डियों का भयंकर हमला, जानें क्या किये गये थे बचाव के उपाय

उत्तर प्रदेश राजस्थान मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में टिड्डी दल आफत बनकर टूट रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार इसके प्रकोप को देखते हुए 10 जिलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया हैं

उत्तर प्रदेश राजस्थान मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में टिड्डी दल आफत बनकर टूट रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार इसके प्रकोप को देखते हुए 10 जिलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया हैं. यूपी के एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के करीब 10 जिलों पर टिड्डी दल को हमला हो सकता है. झांसी, ललितपुर, जालौन और औरैया को अलर्ट किया गया है. साथ ही आसपास के कुछ अन्य जिलों को भी सतर्क रहने को कहा गया है.

भारत में कब-कब हुआ हमला : गौरतलब है कि यह टिड्डियों के हमले का कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी टिड्डी दल का भारत के कई राज्यों में भयंकर हमले हुए हैं. टिड्डी चेतावनी संगठन संगठन के अनुसार 1926 से 1931 के बीच इनके हमले से करीब 10 करोड़ का नुकसान हुआ था, जो 100 साल के दौरान सबसे अधिक है. उसी तरह 1940 से लेकर 1955 के बीच दो बार टिड्डियों का हमला हुआ. इसके बाद 1959-62 के चक्र में केवल टिड्डियों के हमले से 50 लाख रुपए का नुकसान हुआ.

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वर्ष 1993 में हुआ था खतरनाक हमला : 1993 के सितंबर-अक्टूबर में टिड्डी दल का खतरनाक हमला हुआ था. वर्ष 1993 में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब ही नहीं, उत्तर प्रदेश के भी कुछ हिस्सों में इन टिड्डी दलों ने नुकसान पहुंचाया था. कई खेतों की फसलों को टिड्डी दल खा गये थे. लेकिन 1993 में अक्टूबर में ठंड की वजह से टिड्डियां मर गई थी. वर्ना नुकसान का आंकड़ा और ज्यादा होता.

ढ़ाई हजार आदमियों के बराबर खा जाती हैं खाना : किसा भी राज्य में टिड्डी दल का हमला एक बहुत बड़ी आफत है. ये खेतों को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ खड़ी फसल को भी बर्बाद कर देती हैं. ये टिड्डियां किस हद तक नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टिड्डियों का एक छोटा दल एक दिन में 10 हाथी और 25 ऊंट या 2500 आदमियों के बराबर खाना खा सकता है.

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टिड्डियों की 10 प्रजातियां सक्रिय : WHO के अनुसार दुनिया भर में टिड्डियों की 10 प्रजातियां सक्रिय हैं, भारत इनकी 4 प्रजातियां देखी गयीं है. जिनमें सबसे खतरनाक रेगिस्तानी टिड्डी होती है. इसके अलावा प्रवासी टिड्डियां, बॉम्बे टिड्डी और ट्री टिड्डी भी भारत में देखी गई हैं.

बचाव के उपाये : पिछली बार टिड्डी दल से बचाव और उनका सफाया करने के लिए भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने मुनबाओ में उच्च-स्तरीय बैठक पलायन करने वाले टिड्डों की बढ़ती संख्या पर चर्चा की थी. इस दौरान प्रदेश के 10 जिलों में मॉनिटरिंग और आवश्यक कार्रवाई के लिए टीमें तैनात की गई थीं. टिड्डियों का बड़ी संख्या में सफाया भी किया गया था. टिड्डियों के अंडे से बच्चे निकलने के खतरे से निपटने के लिए पांच टीमें भी बनाई थीं.

इसके अलावा पाकिस्तान अपनी ज़मीन पर टिड्डी के प्रभाव वाले इलाके में हवाई सर्वे कर टिड्डी दल पर दवा के एयर स्प्रे के लिए तैयार हुआ था. अब एक बार फिर टिड्डी दल का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने के कृषि विभाग ने बताया कि किसान टोली बनाकर शोर मचाकर, ध्वनि यंत्र बजा कर, टिड्डी दल को भगा सकते हैं. इसके लिए टीन के डब्बे, थाली से ध्वनि पैदा की जा सकती है. स्प्रे छिड़ककर भी खेतों को टिड्डियों से बचाने के उपाये किये गये हैं.

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