अहमदाबाद : वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने आज कहा कि मोदी सरकार कृषि और ग्रामीण विकास के मोर्चे पर फिसड्डी रही है और पिछले तीन साल में रोजगार सृजन में भी गिरावट आयी है.उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के वादों और उन्हें अमलीजामा पहनाने में बडा अंतर है.रमेश ने कहा कि यह बडी चिंता की बात है कि राजग शासन के पिछले तीन साल के दौरान रोजगार सृजन में काफी गिरावट आयी है और उन्होंने मोदी एवं वित्त मंत्री से जानना चाहा कि नोटबंदी के बाद कितना कालाधन सामने आया.पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 26 मई को तीन साल पूरा करने जा रही मोदी सरकार की आर्थिक मोर्चे पर स्थिति ‘अधिकतम प्रचार और न्यूनतम विचार’ की है.
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मोदी का मंत्र ‘अधिकतम प्रचार, न्यूनतम विचार” : रमेश
अहमदाबाद : वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने आज कहा कि मोदी सरकार कृषि और ग्रामीण विकास के मोर्चे पर फिसड्डी रही है और पिछले तीन साल में रोजगार सृजन में भी गिरावट आयी है.उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के वादों और उन्हें अमलीजामा पहनाने में बडा अंतर है.रमेश ने कहा कि यह बडी चिंता […]
राज्यसभा सदस्य ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले तीन साल में सबसे बडा नुकसान कृषि और ग्रामीण मोेर्च पर हुआ है. पिछले तीन साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य बिल्कुल धीमी गति से बढा है. मनमोहन सिंह सरकार के आखिर तीन साल में धान के एमएसपी में नौ फीसदी वार्षिक वृद्धि हुई जबकि राजग सरकार में यह 3.4 फीसदी रही. ” उन्होंने घरेलू किसानों से गेहूं की खरीद करने के बजाय उसे आयात करने की मोदी सरकार की नीति पर सवाल खडा किया और पिछले साल दालों की बंपर पैदावार होने बावजूद भी ऐसा ही किया गया.
रमेश ने कहा, ‘‘पिछले दो साल में गेहूं की सरकारी खरीद में 60 लाख टन की गिरावट आयी है जिसे आयात से पूरा किया गया। यह कृषि में ‘मेक इन इंडिया’ है.” उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत में दालों की बेहतर उपज होने के बाद भी सरकार ने 50 लाख टन दालों का आयात किया.उन्होंने कहा, ‘‘मोदी ने कहा कि वह दालों का बफर स्टॉक बनायेंगे, 20 लाख के बफर स्टॉक में से केवल एक लाख टन बाजार में जारी किया गया. हम 45-50 रपये प्रति किलोग्राम की दर से आयात करते हैं और उसे 240 रपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचते हैं.” रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने निजी बीमा कंपनियों को 16,000 करोड रपये प्रीमियम के तौर पर जुटाने में मदद की लेकिन किसानों को 7,000 करोड रपये ही मिले.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में तीन साल में कृषि वृद्धिदर 1.7 फीसदी रही जबकि मनमोहन सरकार के आखिर तीन साल में यह 3.5 फीसदी थी.रमेश ने कहा, ‘‘पहली बार देश में रोजगार की कमी हुई है. प्रधानमंत्री ने हर साल दो करोड रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था लेकिन सरकार के आंकडे बताते हैं कि 2016 में मुश्किल से दो लाख और 2015 में केवल डेढ लाख लोगों को ही रोजगार प्राप्त हुआ।” उन्होंने कहा कि रोजगार वृद्धि धीमी पडी है क्योंकि निवेश नहीं हो रहा है. ‘‘बैंक रिण वृद्धि सबसे निचले स्तर पर है क्योंकि निवेश एतिहासिक रुप से निचले स्तर पर है और यही वजह है कि रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं.” कांग्रेस सांसद ने मोदी को ‘‘मास्टर पैकेजर” बताया। उन्होंने कहा कि मोदी ने पिछली संप्रग सरकार की विभिन्न योजनाओं के केवल नाम बदले हैं. इस संबंध में उन्होंने जनधन योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का जिक्र किया। ये योजनायें और कुछ नहीं बल्कि पिछली सरकार की बेसिक बचत बैंक जमा खाता और त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम का ही नया नाम है.
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