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साहित्य अकादमी ने साहित्यकारों को किया सम्मानित

नयी दिल्ली : साहित्य अकादमी ने जावेद अख्तर, सुबोध सरकार और मृदुला गर्ग समेत 24 जाने माने कवियों एवं साहित्यकारों को यहां अपने वार्षिक उत्सव में सम्मानित किया. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कल देर शाम एक समारोह में कहा, ‘‘ इन महान साहित्यकारों ने भारतीय साहित्य को जो विशाल योगदान दिया […]

नयी दिल्ली : साहित्य अकादमी ने जावेद अख्तर, सुबोध सरकार और मृदुला गर्ग समेत 24 जाने माने कवियों एवं साहित्यकारों को यहां अपने वार्षिक उत्सव में सम्मानित किया. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कल देर शाम एक समारोह में कहा, ‘‘ इन महान साहित्यकारों ने भारतीय साहित्य को जो विशाल योगदान दिया है, साहित्य अकादमी उसकी तुलना में उन्हें सम्मानित कर महज आभार व्यक्त रही है.’’

साहित्य अकादमी ने कवियों, लेखकों, निबंधकारों एवं नाटककारों को अंग्रेजी समेत 24 मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं में छपी उनकी कृतियों के लिए पुरस्कृत किया. साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने कहा, ‘‘ यदि हम भारतीय लेखकों एवं दार्शनिकों द्वारा लिखी बेहतरीन पुस्तकों को पढ़ने और उन पर मनन करने के लिए थोड़ा अधिक समय दें तो हम में से प्रत्येक को उनके ज्ञान से लाभ होगा और हम आज जो हैं, उससे बेहतर इंसान बनेंगे.’’ साहित्य अकादमी ने जावेद अख्तर (उर्दू), अंबिका दत्त (राजस्थानी) और सुबोध सरकार (बंगाली) जैसे कवियों तथा मृदुला गर्ग (हिंदी), मनमोहन (पंजाबी) और आर एन जोए डीक्रूज (तमिल) जैसे जाने माने उपन्यासकारों को पुरस्कृत किया.

इनके अलावा रबिंद्र सरकार (असमिया), अनिल बोरो (बोडो), सीता राम सपोलिया (डोगरी), तेमसुला एओ (अंग्रेजी), चीनू मोदी (गुजराती), सी एन रामचंद्रन (कन्नड़), मोहिउद्दीन रेशी (कश्मीरी), तुकाराम राम शेत (कोंकणी), सुरेश्वर झा (मैथिली), एम एन पालूर (मलयालम) और माखोनमणि मोंगसाबा (मणिपुरी) को सम्मानित किया गया. इस दौरान सतीश कलसेकर (मराठी), मनबहादुर प्रधान (नेपाल), बिजय मिश्र (ओड़िया), राधाकांत ठाकुर (संस्कृत), अर्जुन चरण हेमबरन (संताली), नामदेव ताराचंदानी( सिंधी)और कात्यायनी विद्माहे (तेलुगू) को भी पुरस्कृत किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि ओड़िया भाषा के जाने माने कवि रमाकांत रथ ने कहा, ‘‘ आज यहां मौजद जानी मानी हस्तियां और साहित्य को अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले उनके जैसे सैकड़ों लोग समृद्ध भारतीय साहित्य की विरासत को आगे लेकर जा रहे हैं.’’

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