नयी दिल्ली : देश के अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होकर आरक्षण की मांग करने वालों को केंद्र सरकार ने करारा झटका दिया है. गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह फैसला किया है कि अब संसद की मंजूरी के बिना किसी भी नयी जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल नहीं किया जा सकेगा. इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने गुरुवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के स्थान पर एक नये आयोग के गठन की मंजूरी भी प्रदान किया है. इतना ही नहीं नहीं, सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान में संशोधन भी करेगी. अभी तक पिछड़ा वर्ग में नयी जातियों को शामिल करने का फैसला सरकार के स्तर पर कर लिया जाता रहा है. इस बीच अटकलें यह भी लगायी जा रही है कि सरकार ने इस तरह का बड़ा फैसला जाट आरक्षण की मांग करने वालों को हताश करने के लिए किया है.
बताया यह भी जा रहा है कि सरकार की ओर यह कदम मुख्य दो वजहों के चलते उठाया गया है. पहली जाट आरक्षण और दूसरी वजह यह कि जाट नेताओं और हरियाणा सरकार के बीच हुई बातचीत में पिछड़ा वर्ग आयोग का नये सिरे से गठन करने की है. अटकलें लगायी जा रही हैं कि सरकार इस नये आयोग गठन कर उसे संवैधानिक दर्जा देगी, जबकि पिछले कानून को संसद से कानून पारित करके बनाया गया था. मौजूदा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग वैधानिक संस्था है, जिसके तहत अबतक सरकार के स्तर पर ही ऐसे फैसले किये जाते रहे हैं.
हालांकि, इसके लिए सरकार एक कमेटी का गठन करेगी जो नए आयोग की दशा और दिशा को लेकर छह महीने के अंदर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगी. इस रिपोर्ट में जाटों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के बारे जिक्र होगा. सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट के बाद ही जाटों को पुख्ता तौर पर आरक्षण दिया जाएगा.