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बिहार की तर्ज पर पीएम मोदी के ”मिशन-2019” में पलीता लगायेगा विपक्ष, जवाब में यह बनाया ”मेगाप्लान”

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा की ओर से मिली करारी हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू मिशन-2019 में पलीता लगाने के लिए विपक्ष ने भी कमर कस ली है. उसने भाजपा के मिशन-2019 को टक्कर देने के लिए मेगाप्लान का खाका तैयार किया है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी […]

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा की ओर से मिली करारी हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू मिशन-2019 में पलीता लगाने के लिए विपक्ष ने भी कमर कस ली है. उसने भाजपा के मिशन-2019 को टक्कर देने के लिए मेगाप्लान का खाका तैयार किया है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है कि पीएम मोदी मिशन-2019 के तहत केवल भाजपा के बूते ही मैदान मारने की रणनीति पर काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि निकट भविष्य में भाजपा के साथ क्षेत्रीय छत्रपों को साथ लेकर महाजंग जीतने की तैयारी की जा रही है. कहा यह जा रहा है कि मोदी के इस मिशन को कोई अकेला दल मात नहीं दे सकता है. इसलिए विपक्ष मोदी के मिशन को टक्कर देने के लिए बिहार की तरह तमाम दलों का साथ लेकर मैदान में ताल ठोंकेगा.

इंडिया टुडे से खास बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने इस बात को स्वीकार भी किया है कि मोदी को हराना अकेले कांग्रेस के बूते की बात नहीं है. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन की तैयारी करनी होगी. सभी दलों को अपने-अपने हितों से अलग मोदी मैजिक को मात देने की दिशा में काम करना होगा. कांग्रेस में राहुल गांधी के खिलाफ उठते आवाज पर अय्यर ने कहा कि राहुल गांधी की अपनी जगह है, लेकिन पार्टी के संगठन में बड़े बदलावों की जरूरत है. युवा नेताओं को महासचिव पद पर और अनुभवी नेताओं को कार्यसमिति में जगह देनी होगी. इसके अलावा, क्षेत्रीय नेताओं को मजबूत करना होगा. मणिशंकर अय्यर ने कहा कि पंजाब की जीत मजबूत क्षेत्रीय नेता की जीत है. इससे हमें सीख लेनी होगी.

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सीपी जोशी ने कहा कि पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी पहले ही शुरू कर चुकी है और भाजपा को ‘कड़ी चुनौती’ देगी. जोशी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पूरा राजनीतिक विमर्श बदल गया है और नयी चुनौतियां सामने आ गयी हैं. इनसे सामना करने के लिए पार्टी को देश भर में अन्य पार्टियों से तालमेल करना होगा, ताकि भाजपा का मुकाबला किया जा सके. ये प्रयोग सफल होंगे. बिहार इसका उदाहरण है. इसमें सपा और बसपा को भी साथ लाने की कांग्रेस कोशिश करेगी.

मोदी को 2019 में लोकसभा चुनाव में चुनौती देने के लिए जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस ने बिहार के तर्ज पर महा गठबंधन बनाने की वकालत की है. हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश चुनावों में भाजपा की धमाकेदार जीत को देखते हुए इन दोनों दलों ने महागठबंधन बनाने पर जोर दिया है. जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जब तक देश के तमाम राजनीतिक दल भाजपा को हराने के लिए एक मंच पर नहीं आते हैं तब तक प्रधानमंत्री मोदी को हराना संभव नहीं है. संजय सिंह ने कहा कि अगर मायावती ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के साथ हाथ मिलाया होता तो फिर वहां की तस्वीर कुछ और होती है.

हालांकि, मोदी को हराने के लिए 2019 में अगर कोई महागठबंधन बनता है, तो उस का नेतृत्व कौन करेगा. इस पर सहमति नहीं दिखती. कांग्रेस राहुल गांधी के अलावा किसी और चेहरे पर शायद ही राजी होगी, लेकिन जदयू ने साफ स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही महागठबंधन का चेहरा हो सकते हैं और मोदी को टक्कर देने के लिए सबसे मजबूत प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर उन्हें देखा जा रहा है.

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