चुनाव परिणामों के आने के बाद ही मीडिया में मनोहर पर्रिकर का नाम गोवा के सीएम के रूप में सामने आने लगा. दिल्ली में एक ताकतवर मंत्रालय संभाल चुके मनोहर पर्रिकर का गोवा प्रेम किसी से छिपा नहीं है. चुनाव प्रचार के दौरान ही पर्रिकर ने पार्टी प्रभारी नितिन गडकरी के सामने सीएम की दावेदारी […]
चुनाव परिणामों के आने के बाद ही मीडिया में मनोहर पर्रिकर का नाम गोवा के सीएम के रूप में सामने आने लगा. दिल्ली में एक ताकतवर मंत्रालय संभाल चुके मनोहर पर्रिकर का गोवा प्रेम किसी से छिपा नहीं है. चुनाव प्रचार के दौरान ही पर्रिकर ने पार्टी प्रभारी नितिन गडकरी के सामने सीएम की दावेदारी को लेकर इच्छा प्रकट की थी. अब जब चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं तो एक बार फिर मनोहर पर्रिकर ने गोवा का रूख कर लिया.
दिल्ली के सियासी गलियारों में उनकी पहचान एक ऐसे मंत्री के रूप में रही जो सप्तांहत में अपने गृह राज्य गोवा जाते रहते हैं. पर्रिकर केंद्र में बेहद अहम मंत्रालय संभाल रहे थे, लेकिन उनका मन गोवा में ही बसता था. गोवा में सीएम रहते हुए भी उनका जीवन बेहद सामान्य था. पर्रिकर बिना सुरक्षा के चलते थे, एक सामान्य ढाबे में बैठकर चाय पीते थे. उनका यह सहज स्वभाव दिल्ली की सियासी गलियारों में फिट नहीं बैठा.
अपने कार्यकाल के दौरान उनके बयान से विवाद भी पैदा हुए. रक्षा मंत्रालय संभालते हुए उनका बयान इंटरनेशनल मीडिया का सुर्खिया बना. खासतौर से परमाणु हथियार और सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर दिये गये बयान से विवाद पैदा हो गया. संभव हो गोवा जैसे छोटे राज्य से निकलकर आने वाले पर्रिकर अपने बयानों में उस तरह की सतर्कता नहीं बरतते हैं, जैसे केंद्र की राजनीति करने वाले नेताओं में होती है. गोवा में पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने की पीछे कई और वजह है. पर्रिकर इसाईयों के बीच भी लोकप्रिय है, जिसे सामान्यतया बीजेपी का वोट बैंक नहीं समझा जाता है. गौरतलब है कि गोवा में भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए निर्दलीय विधायक के साथ की जरूरत है. इस परिस्थिति में मनोहर पर्रिकर की दावेदारी और मजबूत हो जाती है. गोवा में सीएम रह चुके लक्ष्मीकांत पार्सेकर चुनाव हार चुके थे. भाजपा के पास बस एक ही दांव बचा था.