चेन्नई :तमिलनाडु में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर शशिकला और पन्नीरसेल्वम के बीच जारीखींचतानमें अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को बीच में उतरना पड़ा है. उन्होंने ने तमिलनाडु के राज्यपाल को शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा की विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी है. रोहतगी ने राज्यपाल को मौजूदा राजनीतिक स्थिति को समाप्त करने के लिए अपनी राय दी है जिससे यह साफ हो जाए की शशिकला के पास बहुमत है या पन्नीरसेल्वम के पास.
इधर तमिलनाडु में लगातार बैठकों का दौर जारी है. आज कई दौर की बैठक के बाद डीएमके के कोषाध्यक्ष एमके स्टालिन पार्टी मुख्यालय पहुंचे और पार्टी नेताओं के साथ मौजूदा हालात पर बैठक की.खबर है कि एआइएडीएमके का राजनीतिक घमासान अब राष्ट्रपति दरबार पहुंच सकता है. राज्य में सरकार बनाने पर गहराता विवाद और इससे सुलझाने में राज्यपाल की वेट एंड वाच की नीति से इस बात के प्रबल आसार हैं कि मामला राष्ट्रपति दरबार पहुंचेगा. तमिलनाडु में सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल तो रहा है, लेकिन उससे कोई हल निकलता नहीं दिख रहा. वीके शशिकला अपने स्टैंड पर कायम हैं. पन्नीरसेल्वम भी नरम पड़ने को तैयार नहीं हैं. राज्यपाल भी कोई कदम उठाने से पहले दोनों खेमों की दावेदारी को परखने के लिए ‘उचित समय’ का इंतजार कर रहे हैं. पिछले नौ दिनों से तमिलनाडु का राजनीतिक घमासान जारी है.
शशिकला पहले भी अपने पक्ष के सांसदों के जरिये अपना पक्ष राष्ट्रपति तक पहुंचा चुकी हैं, लेकिन उसके बाद भी कोई हल अब तक नहीं निकला है. इधर राज्यपाल ने दोनों पक्षों से मिलकर उनके पक्ष जान चुके हैं, लेकिन अभी स्थिति के और स्पष्ट होने तक वह इंतजार करना चाहते हैं. इधर दोनों पक्षों की दावेदारी आरोप-प्रत्यारोप में बदल चुकी है. इस राजनीतिक लड़ाई को कानूनी और भावनात्मक रूप देने में दोनों गुट लगे हुए हैं.
शशिकला पर आरोप लग रहे हैं कि शक्ति परीक्षण होने तक उन्होंने चेन्नई से बाहर के रिजार्ट में पार्टी के विधायकों को बंधक बना रखा है. वहीं पन्नीरसेल्वम पर आरोप है कि वह विरोधी पार्टियों की शह पर पार्टी में टूट पैदा करना चाहते हैं. भाजपा पन्नीरसेल्वम के प्रति नरमी अपना रही है. वहीं शशिकला आपात स्थिति में कांग्रेस से मदद लेने की तैयारी में है.
राज्य विधानसभा में कुल 134 निर्वािचत सदस्य हैं. इनमें 134 सदस्य एआइडीएमके के हैं. इसमें से 7 पन्नीरसेल्वम के पक्ष में हैं. सरकार बनाने के लिए 118 विधायकों का समर्थन चाहिए. शक्तिपरीक्षण में अगर और देरी होती है, तो शशिकला की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जायेंगी.
उधर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्यपाल के रवैये से शशिकला की बेचैनी बढ़ी हुई है. उन्होंने अपनी पार्टी के सांसद और लोकसभा के उपाध्यक्ष की अगुवाई में अपने समर्थक नेताओं को राष्ट्रपति से दोबारा संपर्क करने और मामले को उनके दरबार तक ले जाने के काम में लगा दिया है.