लखनऊ : अपने बेटे को राजनीति में कैसे स्थापित करना है, उसका कद कैसा ऊपर करेंगे, यह बात परिवार से संचालित होने वाले दूसरे राजनीतिक दलों के प्रमुख मुलायम सिंह यादव से सीख सकते हैं.बीतेमहीनों में मुलायम के हर राजनीतिकफैसले सेउनकेबेटे व उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया. अब अखिलेश देश की प्रमुखराजनीतिकशख्सीयतके रूप में लगभगस्थापितहो चुके हैंऔरदेश के दूसरे राज्यों में भी उनके विकास कार्यों की चर्चा हो रही है.आज यहतयहुआ है कि पार्टी का हर अहम फैसला मुलायम व अखिलेश ही लेंगे और उम्मीदवारों की नयी सूची भी वही तय करेंगे. पार्टी का कल का अधिवेशन भी तय है, जिसमें अखिलेश के पक्ष में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है. हालांकि उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चा अब शुरू हो चुकी है और मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की संभावना भी जतायी जा रही है.
अब देश में यहआम धरणा बन गयी है कि अखिलेश ने अपने परिवारवपार्टी के अंदरअपनेपितावचाचा से गलत लोगों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और राजनीतिमेंअच्छे चेहरेको लाने का दबाव बनाया.
समाजवादी पार्टी के पहले चरण के रणनीतिक राजनीतिक महासंग्राम में मुलायम सिंह ने अखिलेश को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया, जबकि उनसे प्रदेश अध्यक्ष का पद लेकर अपने भाई शिवपाल यादव को दे दिया. इस पर जवाबी हमला करते हुए अखिलेश ने शिवपाल को कैबिनेट से बाहर कर दिया. इसके साथ ही शिवपाल के कई लोगों को भी अखिलेश ने कैबिनेट से बाहर कर दिया. बाद मेंनेताजीके कहने पर बाहरकिये गये कई लोगोंको अखिलेश ने कैबिनेट में ले लिया, लेकिन शिवपाल कैबिनेट से बाहर ही रहे. इस दौरान अखिलेश लगातार मीडिया के मंचों से शिवपाल व अमर सिंह पर निशाना साधते रहे.
इसके बाद गुरुवार को मुलायम ने उम्मीदवारों की ऐसी सूची जारी कर दी, जिसमें अखिलेश के खास लोगों का नाम नहीं था, बल्कि शिवपाल के करीबी विवादस्पद लोगों का नाम था. इस पर जवबी कार्रवाई करते हुए अखिलेश ने भी अपनी लिस्ट जारी कर दी, जिस पर कार्रवाई करते हुए मुलायम ने अखिलेश को शुक्रवार को पार्टी से बाहर कर दिया. रामगोपाल यादव को भी पार्टी विरोधी बयान देने व अधिवेशन बुलाने के आरोप में बाहर कर दिया. इसके बाद मुलायम व अखिलेश ने पार्टी विधायकों की अलग-अलग बैठक बुलायी. आश्चर्यजनक रूप से 229 सदस्यों वाली के 208 विधायक अखिलेश के समर्थन में आ गये, जबकि मुलायम के पास बैठक के लिए मात्र 15 विधायक पहुंचे. इसके बाद आजम खान अखिलेश को लेकर मुलायम के पास गये और पिता-पुत्र में सुलह करवायी.
इस बैठक में अबतक फ्रंट फुट पर नजर आ रहे शिवपाल बैक फुट पर चले गये. इस बैठक में अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने, उम्मीदवारों की नयी सूची जारी होने, भविष्य में संगठन में नयी जिम्मेवारियां तय होने मसलन क्या अखिलेश सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं, जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. यानी पहलवान पिता के जबरदस्त राजनीतिक दावं-पेंच से फिर फायदे में रहे हैं और आज उनके नाम की चर्चा देश के दूसरे राज्यों में भी पॉजिटिव रूप में हो रही है. कुल मिलाकर अखिलेश के आवास के बाहर लगाया जा रहा यह नारा सच साबित हुए : जिसका जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है.