जयललिता की मौत के बाद उनकी सहेली शशिकला नटराजन को उनका स्वभाविक उत्तराधिकारी माना जा रहा है. लेकिन अन्नाद्रमुक के शीर्ष पद की राह में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना बाकी है. अन्नाद्रमुक में भी विरोध के स्वर ऊंचे हो रहे हैं. अम्मा की मौत के दो हफ्ते बाद निलंबित पार्टी नेता शशिकला पुष्पा मौत पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं. वह कहती हैं नटराजन को अम्मा की मौत से फायदा हो सकता है. इस सवाल का जवाब सामने आना चाहिए कि उनके रहते अम्मा क्यों बीमार पड़ीं. अन्नाद्रमुक की राज्यसभा सांसद शशिकला पुष्पा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निकाल दिया गया है. वह आगे कहती हैं कि हमारी वरिष्ठ नेता की मौत के कारणों की विस्तृत जांच होनी चाहिए.
जनता मौत का वास्तविक कारण जानना चाहती है. शशिकला और उनके परिवार पर सभी को संदेह है. जनता को न्याय चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में अन्नाद्रमुक सुप्रीमो की मौत की सीबीआइ जांच कराने की मांग को लेकर दायर उनकी याचिका के एक बाद उनका बयान आया. तमिलनाडु के अलावा पूरे देश की जनता जानना चाहती है कि आखिर हुआ क्या था. जयललीता के साथ आखिर नटराजन ने क्या बेइमानी की यह लाख टके का सवाल है. मैं इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाऊंगी. अम्मा की जान लेनेवाली नटराजन को अन्नाद्रमुक सुप्रीमो नहीं बनने देने के लिए अंतिम सांस तक लड़ूंगी.
वरिष्ठ नेता मुझे और मेरे परिजनों को धमका रहे हैं. शशिकला नटराजन को जबरदस्ती पार्टी सुप्रीमो बना कर कार्यकर्ताओं पर थोपा जा रहा है. 25 सालों से अधिक समय तक अन्नाद्रमुक की कमान संभालनेवाली जयललीता गत पांच दिसंबर को कॉर्डियेक अरेस्ट के एक दिन बाद चेन्नई के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका 22 सितंबर से ही इलाज चल रहा था. तमिलनाडु तेलुगु युवा शक्ति भी मौत की व्यापक जांच और मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक किये जाने की मांग को लेकर शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है.
(द वीक से साभार)
भतीजी दीपा भी दावेदार: अम्मा की भतीजी दीपा जयकुमार पार्टी में शशिकला की पकड़ को लेकर नाखुशी जाहिर कर चुकी हैं. दीपा जयललीता के भाई जयकुमार की बेटी हैं.
पार्टी नेता भी शशिकला से नाखुश: पार्टी के कुछ नेता कमान खुद संभालना चाहते हैं. लेकिन दिखावे के लिए शशिकला का समर्थन कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं से शशिकला का विरोध करा रहे हैं. कई जिलों से प्रदर्शन की खबरें आ चुकी हैं. पिछले दिनों सीएम को नेताओं की बैठक में उस समय असहज स्थिति का सामना करना पड़ा, जब कुछ नेताओं ने शशिकला को पार्टी के साथ सरकार की कमान सौंपने की वकालत की.