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तहलका मामला:अदालत ने तेजपाल को सीसीटीवी फुटेज की कॉपी देने की मंजूरी दी

पणजी : यहां की एक अदालत ने तहलका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल को उत्तर गोवा के बैंबोलिम के पांच सितारा होटल की सीसीटीवी फुटेज देने की मंजूरी दे दी जहां उन्होंने कथित तौर पर अपनी कनिष्ठ सहयोगी पत्रकार के साथ बलात्कार किया था.मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुजा प्रभुदेसाई ने अदालत के कर्मचारी को आज शाम […]

पणजी : यहां की एक अदालत ने तहलका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल को उत्तर गोवा के बैंबोलिम के पांच सितारा होटल की सीसीटीवी फुटेज देने की मंजूरी दे दी जहां उन्होंने कथित तौर पर अपनी कनिष्ठ सहयोगी पत्रकार के साथ बलात्कार किया था.मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुजा प्रभुदेसाई ने अदालत के कर्मचारी को आज शाम पांच बजे तक तेजपाल को सीसीटीवी फुटेज की कॉपी सौंपने का आदेश दिया. तेजपाल इस समय वास्को शहर के साडा उपकारागार में बंद हैं. उन्होंने एक आवेदन दायर कर सीसीटीवी फुटेज देने की मांग की थी. यह फुटेज अपराध शाखा के आरोप पत्र में महत्वपूर्ण सबूत के रुप में पेश की गई है.

तेजपाल ने कल रात एक बयान जारी कर अपराध शाखा पर सीसीटीवी फुटेज छिपाने का आरोप लगाया और कहा कि फुटेज से घटनाओं का सही विवरण मिल सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘22 नवंबर, 2013 के अपने पहले और एक मात्र प्रेस नोट में मैंने पुलिस से सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करने, उसकी जांच करने और उसे जारी करने को कहा था ताकि घटनाओं का सही विवरण मिल सके.’’तेजपाल ने बयान में कहा, ‘‘मैंने दिल्ली में रहते हुए ऐसा तब कहा था जब मेरे पास ना तो यह फुटेज था और ना ही मैंने इसे देखा था. लेकिन मैं घटनास्थल पर था, जो हुआ उसकी सच्चाई मुङो पता थी.’’तेजपाल ने मामले में राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है. जांच एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में कहा कि तेजपाल ने अपराध को अंजाम देने की बात स्वीकारी थी और उनके खिलाफ लगे आरोपों की पुष्टि सीसीटीवी फुटेज जैसे सबूतों, आरोपी और पीड़िता के बीच आदान प्रदान किए गए ईमेल जैसे दस्तावेजों और गवाहों के बयानों द्वारा की जा सकती है.

जांच एजेंसी ने कहा कि ‘‘लिफ्ट के भीतर घटनाओं की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है.’’ तेजपाल को कल बंबई उच्च न्यायालय में अपनी जमानत याचिका पर किसी तरह की तत्काल राहत नहीं मिली. गोवा पुलिस ने गत सोमवार को तेजपाल के खिलाफ 2,846 पन्ने का आरोप पत्र दायर किया. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 354, धारा 354-ए :यौन उत्पीड़न:, धारा 341 और धारा 342 :गलत तरीके से कैद करके रखना:, धारा 376 (बलात्कार), धारा 376 (2) (एफ) और धारा 376 (2) (के) (आधिकारिक पद का फायदा लेकर कस्टडी में महिला से बलात्कार करना) के तहत आरोप लगाए गए हैं.

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