नयी दिल्ली: नये थल और वायु सेना प्रमुखों के नाम का एलान सरकार ने शनिवार को किया. थल सेना के नये प्रमुख के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत कमान संभालेंगे, तो वायु सेना प्रमुख के रूप में एयर मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ जिम्मेदारी संभालेंगे. थलसेना के मौजूदा प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरूप राहा 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
कौन हैं बिपिन रावत
1- बिपिन रावत भारतीय सेना में दिसंबर 1978 में शामिल हुए थे. 1978 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से ग्रेजुएशन करने वाले रावत ने वहां स्वोर्ड ऑफ ऑनर भी हासिल किया. इसके बाद वे गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन हुए.
2- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रह चुके हैं. लेफ्टिनेंट जनरल रावत की पढ़ाई शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से हुई.
3- वे लगातार दूसरे अफसर हैं जो गोरखा बटालियन से सेना प्रमुख के पद पर आए. वतर्मान सेना प्रमुख दलबीर सिहं सुहाग भी गोरखा राइफल्स से ही हैं.
4- वाइस चीफ नियुक्त किए जाने से पहले रावत को पुणे स्थित दक्षिणी कमान का कमांडिंग ऑफिसर के पद पर आसीन किया गया था. मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट में वे जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड-2 रह चुके हैं.
5- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को ऊंची चोटियों की लड़ाई का खासा अनुभव है. वे कश्मीर घाटी के मामलों पर अच्छी जानकारी रखते हैं. लेफ्टिनेंट जनरल रावत को काउंटर इंसर्जेंसी का विशेषज्ञ भी कहा जाता है. कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डिवीजन के वे कमांडिंग ऑफिसर के पद पर रह चुके हैं.
6- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चमत्कारिक रुप उस वक्त बच गए थे जब वे दीमापुर स्थित सेना मुख्यालय कोर 3 के कमांडर के पद पर थे.
7- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत 2008 में कांगों में यूएन के शांति मिशन की कमान संभाल चुके हैं. इस दौरान उनके द्वारा किए गए काम की काफी सराहना भी की गई थी. यूनाइटेड नेशंस के साथ काम करते हुए भी उनको दो बार फोर्स कमांडर कमेंडेशन के अवार्ड से नवाजा गया.
8 लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने मिलिट्री मीडिया स्ट्रेटजी स्टडीज में रिसर्च की और 2011 में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि ली.