आज पूरे 45 साल हो गये, उस गौरवपूर्ण वर्ष को जब हमने पाकिस्तानी सेना को पस्त कर उसे आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था. इस युद्ध की समाप्ति के बाद पश्चिमी पाकिस्तान, पाकिस्तान से टूट कर अलग हो गया और और एक नये देश बांग्लादेश का उदय हुआ. इस युद्ध के बाद पाकिस्तानी आर्मी के जेनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने 93,000 सेना के जवानों संग आत्मसमर्पण कर दिया था. उस वक्त भारतीय सेना का नेतृत्व जगजीत सिंह अरोड़ा कर रहे थे.
जानकार बताते हैं कि भारतीय वायुसेना के हमले से बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने 30 मिनट के अंदर सरेंडर कर दिया था. इस युद्ध में असाधारण वीरता दिखाने के लिए विंग कमांडर एसके कौल को महावीर चक्र और विंग कमांडर बीके बिश्नोई और हरीश मसंद को वीर चक्र प्रदान किए गए थे.
इस गौरवपूर्ण वर्ष को याद करने के लिए और शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. पाकिस्तान के हौसले पस्त करने में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियां अद्भुत तरीके से प्रभावकारी रहीं. इस युद्ध ने इंदिरा गांधी को एक ताकतवर नेता के रूप में स्थापित कर दिया.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय दिवस की शुभकामनाएं दीं और शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी विजय दिवस की शुभकामनाएं दी हैं. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज अमर जवान ज्योति जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.