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पीएम पद के लिए मोदी-केजरीवाल नहीं, ममता मेरी पसंद : अन्ना

नयी दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को समर्थन देने की आज घोषणा की जिनकी आगामी लोकसभा चुनावों में संभवत: राज्य से बाहर की भी आकांक्षा है. उन्होंने कभी अपने समर्थक रहे अरविंद केजरीवाल को झिड़की देते हुए कहा कि वह उनका समर्थन नहीं करेंगे. भ्रष्टाचार विरोधी नेता […]

नयी दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को समर्थन देने की आज घोषणा की जिनकी आगामी लोकसभा चुनावों में संभवत: राज्य से बाहर की भी आकांक्षा है. उन्होंने कभी अपने समर्थक रहे अरविंद केजरीवाल को झिड़की देते हुए कहा कि वह उनका समर्थन नहीं करेंगे.

भ्रष्टाचार विरोधी नेता ने कहा कि वह ममता का इसलिए समर्थन कर रहे हैं कि उन्होंने उनके 17 बिंदु वाले एजेंडे का जवाब दिया और इसे लागू करने पर सहमत हैं.हजारे ने ममता के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैंने अपनी 17 बिंदु वाली मांगों को लेकर राजनीतिक दलों को पत्र लिखा था. दीदी (ममता) ने इसका जवाब दिया और इसे लागू करने पर सहमत हो गईं. मैंने अरविंद केजरीवाल को भी पत्र लिखा था लेकिन उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया.

इसलिए उनका समर्थन करने का सवाल ही नहीं है.’’ ममता को उनका समर्थन ऐसे वक्त में आया है जब कभी उनके सहयोगी रहे केजरीवाल से संबंधों में खटास आ गई है. मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकारी आवास लेने के लिए भी उन्होंने केजरीवाल की आलोचना की थी.

हजारे ने कहा कि वह ममता का समर्थन एक दल के रुप में नहीं बल्कि एक व्यक्ति के रुप में कर रहे है और समाज एवं देश पर उनके विचारों का भी वह समर्थन करते हैं.

हजारे ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के रुप में वह दूसरों की तरह शानदार जिंदगी जी सकती थीं. लेकिन वह छोटे घर में रहती हैं, सरकारी कार का इस्तेमाल नहीं करतीं. यह बलिदान है जिसके बगैर समाज और देश विकास नहीं कर सकता.’’ उन्होंने कहा कि चार महीने पहले उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को 17 बिंदु वाले एजेंडे के बारे में लिखा था और ममता ने इसका सकारात्मक जवाब दिया.

वाले एजेंडे में भंडाफोड़ करने वालों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं. इसमें मांग की गई है कि रक्षा और विदेश मामलों के अलावा सभी मामलों में सरकारी निर्णयों को दो महीने बाद सार्वजनिक किया जाए ताकि ज्यादा पारदर्शिता लाई जा सके.

हजारे ने मांग की कि गांवों को ध्यान में रखकर नीति निर्माण हो, राइट टू रिकॉल और राइट टू रिजेक्ट जैसे बड़े चुनावी बदलाव किए जाएं, नदियों एवं जलाशयों के निजीकरण का विरोध हो, गरीब एवं धनी के बीच भेदभाव खत्म हो, काला धन वापस लाया जाए और कर की नई नीति बने.

यह पूछने पर कि क्या वह केजरीवाल और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी का विरोध करेंगे तो हजारे ने कहा कि न तो वह समर्थन करेंगे और न ही विरोध. लोकपाल के लिए आंदोलन चलाने वाले भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता ने कहा कि ममता के ‘‘स्वच्छ’’ छवि के उम्मीदवारों के लिए वह प्रचार करेंगे.

हजारे ने कहा, ‘‘2014 के चुनावों में दीदी जिस उम्मीदवार को उतारेंगी वह उसका समर्थन करेंगे.’’ राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव की वकालत करते हुए हजारे ने कहा कि अगर वह 100 सीट भी जीतती हैं तो उनके नेतृत्व में बदलाव लाने का काम काफी आसान हो जाएगा. बनर्जी ने कहा कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इनमें से अधिकतर बिंदु पहले ही लागू हो चुके हैं.

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