भोपाल : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव एबी वर्धन ने कहा है कि अब तो यह साफ है कि इस लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस गद्दी से हट रही है और भाजपा शायद गद्दी पर आ नहीं रही है, ऐसे में पैदा होनेवाली राजनीतिक रिक्तता भरने के लिए एक नया वाम लोकतांत्रिक विकल्प तैयार हो सकता है.
वर्धन ने शनिवार को कहा, अब यह साफ है कि कांग्रेस गद्दी से हट रही है और शायद भाजपा आ नहीं रही है, ऐसी स्थिति में पैदा हो रही राजनीतिक रिक्तता को भरने के लिए एक नया गंठबंधन, जिसे आप तीसरा मोरचा कहते हैं, वाम लोकतांत्रिक विकल्प तैयार होकर सामने आ सकता है.
इस नये गंठबंधन में वे सभी पार्टियां, जो गैर कांग्रेस व गैर भाजपा हैं, एकजुट हो सकती हैं. यह विकल्प कांग्रेस व भाजपा की नीतियों से हट कर होगा और इस राजनीतिक रिक्तता को भरने के लिए सामने आयेगा. इसके लिए केवल कांग्रेस और भाजपा विरोधी होना ही काफी नहीं होगा, बल्कि उन्हें एक वैकल्पिक नीति और कार्यक्रम भी पेश करना होगा.
उन्होंने कहा कि वह स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस व भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करना आसान नहीं है, लेकिन क्या यूपीए और राजग में शामिल पार्टियों को एक साथ लाना आसान था. वह मानते हैं कि एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर इन पार्टियों को एक साथ लाया जा सकता है.
* मोदी पर, हमें भी लगता है कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा का सत्ता में आना कठिन है, क्योंकि चुनाव पूर्व या बाद में भाजपा के लिए राजग की सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों को साथ लाना आसान नहीं होगा.
* थर्ड फ्रंट पर, मोदी का फर्स्ट ग्रेड क्या है, यह भी उन्हें साफ करना चाहिए.
* देश पर, नयी उदारवादी अर्थ नीति और सांप्रदायिकता देश के लिए बड़ा खतरा है.
* संसद पर, यह राजनीतिक प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है. लोगों को लगने लगा है कि इससे तो तानाशाही शासन व्यवस्था ही अधिक बेहतर हो सकती है.
* आप पर, उनकी (आप) सरकार का दिल्ली की सत्ता से इस्तीफा स्वाभाविक था.
* अन्ना से अपील, वे (अन्ना) जिस तरह अब तक राजनीतिक व्यक्तियों और पार्टियों से दूर रहे हैं, वह इसे जारी रखते हुए अपने व्यक्तित्व पर कोई धब्बा नहीं लगने दें और किसी व्यक्ति अथवा पार्टी को समर्थन नहीं दें. उन्होंने (हजारे) भ्रष्टाचार के मुद्दे को राजनीति के केंद्र में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है और यही उनके व्यक्तित्व की खासियत है.
* पीएम प्रत्याशी की घोषणा पर, भारतीय संविधान में चुनाव पूर्व किसी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसका चुनाव तो बहुमत में आयी पार्टी के सांसद करते हैं. चुनाव पूर्व किसी को नामित करना असंवैधानिक है.