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नोट बंदी : दूसरे के खाते में डाला धन तो सात साल तक की जेल

नयी दिल्ली : आठ नवंबर के बाद से अप्रचलित नोटों के संदिग्ध इस्तेमाल को लेकर 80 से अधिक सर्वे और लगभग 30 तलाशियां ली, जिनमें 200 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय पकड़ी गयी. इस तरह की कार्रवाई में 50 करोड़ रुपये की नकदी भी जब्त की गयी है. अधिकारियों का कहना है कि […]

नयी दिल्ली : आठ नवंबर के बाद से अप्रचलित नोटों के संदिग्ध इस्तेमाल को लेकर 80 से अधिक सर्वे और लगभग 30 तलाशियां ली, जिनमें 200 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय पकड़ी गयी. इस तरह की कार्रवाई में 50 करोड़ रुपये की नकदी भी जब्त की गयी है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में संदेह सही पाये जाने पर बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून 1988 के तहत कार्रवाई की जायेगी. इस कानून के तहत राशि जमा कराने वाले और जिसके खाते में जमा हुई, दोनों को पकड़ा जा सकता है. सीबीडीटी ने आयकर विभाग से कहा है कि वह उन मामलों पर कड़ी निगरानी रखे, जिनमें 500 और 1000 रुपये के पुराने मुद्रा नोटों का इस्तेमाल करते हुए अपने कालाधन को वैध बनाने और छुपाने के लिए दूसरों के बैंक खातों के इस्तेमाल का संदेह हो. कुछ मामले पहले ही सामने आए हैं और विभाग बेनामी कानून के तहत नोटिस जारी करेगा. इस बीच आरबीआइ ने कहा है कि 10 रुपये का सिक्का पूरी तरह से वैध है. अफवाहों पर ध्यान ने दें.

विदेशी निवेशकों को सही संदेश

फ्रांस के जाने माने अर्थशास्त्री गॉय सोरमन का कहना है कि बीते ढाई साल में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों के चलते विदेशी निवेशक अब भारत को कारोबार के लिए उचित गंतव्य के रूप में देख रहे हैं. सोरमन ने कहा कि मोदी सरकार ने विदेशी निवेशकों, घरेलू व विदेशी उद्यमियों को सही संदेश भेजा है. भारत को अब कारोबार के लिए सही जगह के रूप में देखा जा रहा है. भले ही संकेतात्मक हो लेकिन यह मोदी के लिए सफलता है. उन्होंने कहा कि और अधिक गतिशील अर्थव्यवस्था में लोक प्रशासन (नौकरशाही) व नियमन मुख्य बाधा हैं. इन दोनों को दूर करने में केंद्र व राज्य सरकार, दोनों का योगदान चाहिए. इसलिए धीमी प्रगति के लिए मोदी को दोषी ठहराना उचित नहीं होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ब्रांड ‘मेड इन इंडिया’ कमजोर है जिसने निर्यातकों को मदद नहीं की. सोरमन ने कहा कि इस ब्रांड को नये सिरे से मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार व व्यापार संगठनों को वैश्विक अभियान की योजना बनानी चाहिए. इसे सकारात्मक बनायें न कि केवल पर्यटन गंतव्य. इस तरह का अभियान शुरू तो हुआ लेकिन अब तक प्रभावी नहीं रहा.

नोटबंदी के आकलन के लिए राज्यों का दौरा करेंगे अफसर

केंद्रीय विभागों में काम करनेवाले वरिष्ठ नौकरशाहों को नोटबंदी अभियान का मौके पर पहुंच कर आकलन करने के लिए राज्यों का दौरा करने और उस पर अपना फीडबैक देने को कहा गया है. कार्मिक विभाग ने अतिरिक्त सचिव व संयुक्त सचिव स्तर के और निदेशक या उप सचिव के तौर पर काम कर रहे 70 वरिष्ठ अफसरों के कुल 32 दल बनाये हैं. ये अफसर केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से हैं. तीन अधिकारियों वाले दल गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हिमाचल , ओड़िशा, तमिलनाडु, आंध्र, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व पंजाब जायेंगे. दो सदस्यों वाले दल तेलंगाना, केरल, हरियाणा, छत्तीसगढ़, झारखंड, गोवा और असम जायेंगे. एक अफसर वाले दल नगालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, अंडमान और निकोबार, लक्ष्यद्वीप, पुडुचेरी और सिक्किम जायेंगे.

निर्यातकों के साथ विचार विमर्श करेंगी सीतारमण

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने नोटबंदी के प्रभाव पर विचार विमर्श के लिए निर्यात संवर्द्धन परिषदों तथा क्षेत्र के अन्य प्रतिनिधियों की सोमवार को बैठक बुलायी है. इस बैठक में निर्यात तथा नोटबंदी से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार विमर्श किया जायेगा. इस समय नकदी का संकट है जिससे लोगों को परेशानी हो रही है. इस घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए चमड़ा निर्यात परिषद के चेयरमैन रफीक अहमद ने कहा कि इससे नकदी निकासी की सीमा पर अंकुश लगेगा और निर्यातकों की कार्यशील पूंजी पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. इसी तरह की राय जताते हुए व्यापार विशेषज्ञों ने बताया कि इस कदम से आपूर्ति पक्ष प्रभावित होगा.

बाजार में अभी रहेगा उतार-चढ़ाव

शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि व्युत्पन्न अनुबंध की समाप्ति से पूर्व भारतीय शेयर बाजार में उतार चढ़ाव रह सकता है. इसके अलावा नोटबंदी तथा संसद की कार्यवाही से भी शेयर बाजार पर असर पड़ेगा. आम्रपाली आद्या ट्रेडिंग एंड इन्वेस्टमेन्ट्स के निदेशक एवं शोध प्रमुख अबनीश कुमार सुधांशु ने कहा कि मेरा मानना है कि कुछ मुद्राओं को प्रचलन बंद किया जाना बाजार की धारणा पर असर डालना जारी रखेगा. कुछ मुद्राओं को प्रचलन से बाहर किये जाने के बीच बैंक में जमा की दर अधिक रहती है, तो बाजार इसे सकारात्मक भाव से लेगा.

12 महीने में जीडीपी एक प्रतिशत तक गिर सकता है

वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नोट बंदी बाद 12 महीने में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में एक प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती और दीर्घकालिक फायदे भी बाद के सुधारात्मक कदमों पर निर्भर करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल नोट बंदी का मिला जुला असर देखने को मिलेगा जिसमें ‘कुछ फायदे तो कुछ नुकसान’ शामिल हैं.

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