नयी दिल्ली: सरकार ने आज बताया कि दिल्ली राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के वर्ष 2012 में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 117 जेलों में एक से 6 साल तक की उम्र के 871 बच्चे अपनी माताओं के साथ रह रहे थे.
महिला और बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने आज राज्यसभा को बताया कि वर्ष 2012 में यह अध्ययन दिल्ली, गोवा, गुजरात, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की जेलों में किया गया था.अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि उत्तर प्रदेश की जेलों में रह रहे बच्चों की संख्या सर्वाधिक 433 थी। पश्चिम बंगाल की जेलों में 177 बच्चे, गुजरात की जेलों में 126 बच्चे, पंजाब की जेलों में 75 बच्चे, दिल्ली की जेलों में 56 बच्चे और गोवा तथा पुडुचेरी की जेलों में दो दो बच्चे अपनी माताओं के साथ रह रहे हैं.
तीरथ ने राजकुमार धूत के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि महिला कैदियों को सुविधाएं देने के बारे में उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों के तहत गृह मंत्रालय द्वारा 15 मई 2011 को जारी विस्तृत परामर्श पत्र में जेलों से संलग्न शिशुगृहों और नर्सरी का प्रावधान है. इसके मुताबिक 3 साल से कम उम्र के बच्चे शिशुगृहों में रह सकेंगे और 3 से 6 साल तक की उम्र के बच्चों की देखभाल नर्सरी में की जाएगी.