नयी दिल्ली: तेलंगाना मुद्दे को लेकर आज लगातार दूसरे दिन लोकसभा नहीं चल पायी. तेलंगाना के अलावा विभिन्न दलों के सदस्य अपने अपने मुद्दे लेकर आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे जिसके कारण सदन में व्यवस्था नहीं बन पायी और एक बार के स्थगन के बाद कार्यवाही लगभग सवा 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर देनी पड़ी.
शीतकालीन सत्र की कल से शुरु हुई विस्तारित बैठक में आज दूसरे दिन भी हंगामे के कारण प्रश्नकाल नहीं हो सका.
अध्यक्ष मीरा कुमार ने हालांकि भारी हंगामे के बीच ही आवश्यक दस्तावेज और विभिन्न मंत्रलयों से जुड़ी संसदीय समितियों की रिपोर्टे भी सदन के पटल पर रखवाई। इनमें लोक लेखा समिति की 9 , सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति की कार्रवाई संबंधी 13 , रेल संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट , कोयला और इस्पात संबंधी स्थायी समिति की 5 , परिवहन , पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति की 6 , कार्मिक , लोक शिकायत , विधि और न्याय संबंधी स्थायी समिति की 3 रिपोर्ट शामिल हैं.
इससे पूर्व, सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होते ही सीमांध्र क्षेत्र के कांग्रेस, तेदेपा और जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य एकीकृत आंध्रप्रदेश की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। उनके हाथों में तख्तियां थी जिस पर लिखा था, आंध्रप्रदेश को एकजुट रखें.’’ सीमांध्र क्षेत्र के सदस्य जय सम्यक आंध्रा’ का नारा लगाते हुए लोकतंत्र को बचाने की मांग कर रहे थे.
द्रमुक सदस्य तमिलनाडु के मछुआरों की स्थिति को उठाते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। उनके हाथों में तख्तियां थी जिसपर लिखा था, तमिलनाडु के मछुआरों को बचाओ.’’
तेलंगाना मुद्दे और तमिलनाडु के मछुआरों की स्थिति को लेकर लोकसभा में आज विभिन्न दलों के हंगामे के कारण कार्यवाही शुरु होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होते ही सीमांध्र क्षेत्र के कांग्रेस, तेदेपा और जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य एकीकृत आंध्रप्रदेश की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। उनके हाथों में तख्तियां थी जिस पर लिखा था, ‘‘ आंध्रप्रदेश को एकजुट रखें.’’ सीमांध्र क्षेत्र के सदस्य ‘जय सम्यक आंध्रा’ का नारा लगाते हुए लोकतंत्र को बचाने की मांग कर रहे थे.
द्रमुक सदस्य तमिलनाडु के मछुआरों की स्थिति को उठाते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए. उनके हाथों में तख्तियां थी जिसपर लिखा था, ‘‘ तमिलनाडु के मछुआरों को बचाओ.’’ अध्यक्ष ने सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया। लेकिन सदस्यों पर इसका कोई असर हुआ. हंगामा थमता नहीं देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित की दी.
15वीं लोकसभा के अंतिम सत्र में संसद में आज भी हंगामे के आसार नजर आ रहे हैं. कांग्रेस को प्रमुख बिल इस सत्र में पास कराने हैं. हंगामे को देखते हुए नहीं लगता की कांग्रेस इन बिलों को पास कराने में समर्थ हो पाएगी.जीओएम से हरी झंडी मिलने का बाद अलग तेलंगाना का मुद्दा आज कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जाएगा. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस बिल को मंजूरी के लिए संसद में लाया जाएगा.
सरकार की कोशिश है कि इसी सत्र में अलग तेलंगाना राज्य का बिल पास हो जाए, लेकिन बिल पर कई दसरे दलों के साथ−साथ उसे कुछ अपने सांसदों का विरोध भी झेलना पड़ रहा है. आज संसद में तेलंगाना के मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं.
वहीं राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष के भारी विरोध के कारण सांप्रदायिक हिंसा निरोधक बिल पेश नहीं हुआ. विपक्ष का दावा था कि संसद यह कानून नहीं बना सकता. यह संघवाद की भावना के विरुद्ध है. भाजपा, माकपा, सपा, द्रमुक और अन्नाद्रमुक समेत कई दलों के विरोध के बाद उपसभापति पीजे कुरियन ने सांप्रदायिक निवारण (पहुंच और क्षतिपूर्ति) विधेयक 2014 को टाल दिया. इससे पहले उच्च सदन में क्या संसद ऐसा कानून बनाने के लिए सक्षम है, विषय पर संक्षिप्त बहस हुई. बिल के पक्ष में कानून मंत्री कपिल सिब्बल और विरोध में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने अपना मत रखा.
जेटली ने दावा किया कि संसद इस कानून को बनाने के लिए विधायी रूप से सक्षम नहीं है, इससे संघवाद की भावना का उल्लंघन होगा. उनका विरोध करते हुए सिब्बल ने कहा कि संघीय ढांचे का उल्लंघन नहीं किया जा रहा. बिल के तहत उठाये जानेवाले केंद्रीय कदम राज्य सरकार की सहमति से होंगे. उन्होंने कहा कि ‘राज्य प्रायोजित सांप्रदायिक गतिविधियां होने की स्थिति में, जैसा कि गुजरात में हुआ’ केंद्र के हस्तक्षेप के लिए एक बिल होना चाहिए. सिब्बल ने कहा कि कानून-व्यवस्था कायम रखना राज्य की जिम्मेदारी है.अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन ने कहा कि बिल में हुए सुधार, बनावटी हैं. माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि इस बिल से राज्य के अधिकारों का हनन हो रहा है. तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यूपीए2 जब से शासन में आयी है, संघवाद को नष्ट करने में लगी है.
पूर्वोत्तर के लोगों पर हमले की निंदा
दिल्ली में अरुणाचल प्रदेश के निडो तानिया की हत्या के परिप्रेक्ष्य में लोकसभा ने देश के विभिन्न हिस्सों में पूर्वोत्तर के लोगों पर हमलों और उत्पीड़न की निंदा की. अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा, ‘पूरा सदन युवक की मौत की निंदा करता है. पूरे देश को स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि संसद चाहती है कि पूर्वोत्तर के सभी लोग और बच्चे सुरक्षित हैं.’ विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि देश भर में लोगों को पूर्वोत्तर राज्यों के साथियों के बारे में संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. जदयू नेता शरद यादव ने ऐसी घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि यह देश की एकता का सवाल है. इस मुद्दे पर सदन में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए. माकपा के बासुदेब आचार्य ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों पर हमले की हल की घटनाएं और कुछ नहीं, बल्कि नस्ली भेदभाव है. ऐसा वर्षो से होता रहा है, हालात गंभीर हैं.
वित्त मंत्री को सत्र से नहीं उम्मीद
संसद सत्र शुरू होने से पहले श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में आयोजित एक सम्मेलन में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि उन्हें संदेह है कि संसद के इस सत्र में लेखानुदान को छोड़ कोई और महत्वपूर्ण विधेयक पारित हो सकेगा. कहा, ‘हमें हर रोज संसद में उपस्थित होने की रस्म अदा करनी है और खाली हाथ लौट जाना है.’ उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक, लेखानुदान और विनियोग विधेयक पारित हो जायेंगे. लेकिन, यदि बिना बहस या चर्चा पारित होता है, तो मुङो खुशी नहीं होगी. सरकार सत्र में अंतरिम बजट के अलावा तेलंगाना विधेयक और भ्रष्टाचाररोधी प्रावधानोंवाले कुछ बिल पारित कराना चाहती है. इस बीच, तेलंगाना बिल पर संभावित हंगामे को हिचकोली बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उम्मीद जतायी कि सभी पक्ष समझदारी से पूर्वाग्रह छोड़ कर सत्र का कामकाज सहज ढंग से चलाने में सहयोग देंगे.
विपक्ष के निशाने पर सरकार
जाति आधारित आरक्षण खत्म करने और आर्थिक आधार पर कोटा तय करने की कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी की टिप्पणी से खासा विवाद उत्पन्न हो गया. सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा, ‘जाति आधारित आरक्षण समाप्त कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का सुझाव देकर कांग्रेस देश में सामाजिक न्याय व्यवस्था समाप्त करने की कोशिश कर रही है.’ यदि कोई व्यक्ति करोड़पति है, पर अनुसूचित जाति या अन्य पिछड़े वर्ग का है, तो उसे समाज में वह इज्जत नहीं मिल सकती, जो ऊंची जाति के गरीब को मिलती है. इसलिए यह अंतर है. इसलिए यह व्यवस्था जारी रहनी चाहिए. अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने प्रणाली को समाप्त करने के सुझाव का समर्थन किया, पर सुझाव देने पर सवाल सवाल उठाते हुए कहा कि यह क्रांतिकारी विचार काफी समय पहले आ जाना चाहिए था.