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सहारा प्रमुख का पैरोल रद्द, लेकिन आत्मसमर्पण के लिए एक सप्‍ताह की राहत

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय और दो अन्य की पैरोल की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया, हालांकि कोर्ट ने सभी को आत्मसमर्पण के लिए एक सप्‍ताह की राहत दे दिया है. शुरू में आज कोर्ट ने राय और दो अन्‍य की जमानत समेत सभी अंतरिम राहत रद्द कर दी […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय और दो अन्य की पैरोल की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया, हालांकि कोर्ट ने सभी को आत्मसमर्पण के लिए एक सप्‍ताह की राहत दे दिया है. शुरू में आज कोर्ट ने राय और दो अन्‍य की जमानत समेत सभी अंतरिम राहत रद्द कर दी और उन्हें हिरासत में लेने का निर्देश दे दिया था, लेकिन बाद में राय के अलावा सहारा के दो अन्य निदेशकों– अशोक रॉय चौधरी और रवि एस दुबे को भी एक हफ्ते की राहत मिल गयी. उच्चतम न्यायालय जमानत के सिलसिले में सहारा प्रमुख एवं अन्य की नयी अर्जी पर तीन अक्तूबर को सुनवाई करेगा.

ज्ञात हो न्यायालय ने गत 16 सितंबर को सहारा प्रमुख के पैरोल की अवधि आज तक के लिये बढ़ा दी थी. राय की मां के निधन के बाद उन्हें मई में पैरोल पर रिहा किया गया था. बाद में पैरोल जारी रहा ताकि वह निवेशकों का पैसा लौटाने के लिये राशि जुटा सके.

* वकील की टिप्पणी के लिये बिना शर्त माफी मांगेने के लिए तैयार सुब्रत राय
सुनवाई करने के दौरान मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ सुब्रत राय के वकिल की दलिल से काफी नाराज हो गयी. और सभी को फौरन हिरासत में लिये जाने का आदेश दे दिया. हालांकि राय ने अपने वकील की टिप्‍पणी के लिए कोर्ट से फौरन मांफी मांग ली. जैसे ही पीठ ने राय और सहारा के दो अन्य निदेशकों अशोक राय चौधरी और रवि शंकर दुबे…को हिरासत में लेने का निर्देश दिया, सहारा ने अपने अधिवक्ता को केस से हटा लिया और पीठ से माफी मांगी.
* राय के वकील ने क्‍या कहा कि नाराज हो गयी पीठ
सहारा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ने जब मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि उन्हें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा संपत्ति की बिक्री प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है तो न्यायाधीश काफी नाराज हो गये पीठ ने कहा, ‘‘अगर आप चाहते हैं कि आपकी बातें सुनी जाए, पहले आप जेल जाइये. हमें यह मत बताइये कि हमें क्या करना है. सभी अंतरिम व्यवस्था रद्द की जाती है. सभी को हिरासत में लिये जाने का निर्देश दिया जाता है.’ मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कुछ लोग अदालत की मर्यादा के साथ खेलते हैं और कुछ वकील हैं जो अदालत के प्रति सम्मान नहीं रखते.
* सेबी की तरफ से पेश अधिवक्ता ने क्‍या कहा
सेबी की तरफ से पेश अधिवक्ता ने बताया कि 58 संपत्तियों को नीलामी के लिये रखा गया और उनमें से आठ को 137 करोड़ रुपये में बेचा गया. उन्होंने यह भी कहा कि संपत्ति में पांच को अस्थायी रुप से कुर्क किया गया था. उन्होंने कहा कि सहारा ने उन्हें संपत्ति की जो सूची सौंपी है, उसमें वह भी संपत्तियां भी हैं जो पहले ही कुर्क की जा चुकी है.
इस पर पीठ ने सहारा के अधिवक्ता से कहा, ‘‘आपने उन संपत्तियों की सूची दी है जो पहले से ही कुर्क है. आप सहयोग नहीं कर रहे. यह बेहतर होगा कि आप जेल जायें.’ पीठ ने सहारा प्रमुख को जमानत जारी रखने के लिये 300 करोड़ रुपये जमा करने को कहा. न्यायालय के इस रुख के बाद धवन ने अनुरोध किया कि मामले पर आगे की सुनवाई के लिये 30 सितंबर की तारीख रखी जाए, उस दिन वह इस पर अपना पक्ष रखेंगे.

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