नयी दिल्ली : उरी आतंकी हमले को नृशंस कृत्यों की श्रृंखला की एक घृणित कडी बताते हुए खुफिया ब्यूरों के निदेशक दिनेश्वर शर्मा ने आज कहा कि इसकी जडें भारत की सीमाओं से बाहर हैं. उन्होंने ऐसी आतंकी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए दक्षेस देशों से आतंकवादी संस्थाओं और आतंकवादियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने का आग्रह किया.
दक्षेस आतंकवाद रोधी कार्य प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए प्रमुख विशेषज्ञों के उच्च स्तरीय समूह की दूसरी बैठक को संबोधित करते हुए खुफिया ब्यूरो के निदेशक ने कहा कि यह दो दिवसीय बैठक ऐसे समय में हो रही है जब हमारे सभी देशवासी जम्मू कश्मीर के उरी में आतंकवादी हमले में शहीद 18 बहादुर जवानों की शहादत से बहुत उत्तेजित हैं.
पाकिस्तान का परोक्ष हवाला देते हुए शर्मा ने कहा कि यह वारदात पिछले कुछ दशकों के दौरान हुई ऐसी ही नृशंस घटनाओं की श्रृंखला का एक कायरतापूर्ण कृत्य है. ऐसे दुष्कृत्यों के लिए भारत की सीमाओं से बाहर योजना, वित्तपोषण, प्रशिक्षण, हथियार उपलब्ध कराने और धार्मिक आधार पर भावनाओं को भडकाने का कार्य किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि आज आतंकवाद पूरे विश्व के लिए एक बडी चुनौती के रुप में उभर कर सामने आया है. आज दुनिया का कोई भी देश अपने दम पर इस समस्या से निपटने की स्थिति में नहीं है. इसलिए निकट सहयोग और वास्तविक खुफिया जानकारी को साझ करना हम सभी के लिए बहुत जरुरी है तभी हम अपने देश और अपने लोगों को सुरक्षित रख सकते हैं.
शर्मा ने दक्षेस देशों का आह्वान किया कि वे आतंकवादी संस्थाओं और आतंकवादियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करें . सदस्य देशों को आतंकवाद के दमन और अतिरिक्त प्रोटोकॉल तथा आपराधिक मामले में आपसी सहायता के बारे में समझौतों सहित दक्षेस समूह द्वारा अधिनियमित विभिन्न समझौतों की अभिपुष्टि तथा उन्हें सक्षम बनाने के लिये कदम उठाना चाहिये.
शर्मा ने कहा कि आतंकवादी संगठन सभी लक्ष्यों पर हमला करने के लिए आसानी से सुलभ प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं.
इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अपनी कट्टरता और हमारे देश सहित चारों ओर इस्लामिक स्टेट के प्रभाव को बढाने के प्रयासों से इस चुनौती में नए आयाम जुड रहे हैं. उन्होंने आतंकवाद का वित्त पोषण रोकने पर बल देते हुए कहा कि यह आतंक की समस्या से निपटने का सबसे महत्वपूर्ण औजार है. इसी प्रकार साइबर स्पेस कट्टरता और जिहादी सामग्री के प्रसार का महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है. इसके अलावा नकली नोटों की समस्या आतंकवाद की मदद करती है और इससे हमारे क्षेत्र में आर्थिक अस्थिरता पैदा हो सकती है.
खुफिया ब्यूरो के निदेशक ने फरवरी 2012 में आयोजित दक्षेस आतंकवाद निरोधी तंत्र की पहली बैठक का जिक्र करते हुए अभी हाल में सृजित दक्षेस आतंकवादी अपराध निगरानी डेस्क और कोलम्बो में डाटा बेस के सृजन के लिए दक्षेस मादक पदार्थ अपराध निगरानी डेस्क के तत्काल संचालन की जरुरत पर जोर दिया और कहा कि सभी सदस्य इसका उपयोग कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इस पहल के बारे में कोई विशेष प्रगति दिखाई नहीं देती है. उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से ‘आतंक वित्तपोषण और धन शोधन’ और ‘साइबर अपराध’ को नये एजेंडा मदों के रुप में शामिल करने का भी आह्वान किया. उल्लेखनीय है कि दक्षेस आतंकवाद रोधी तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रख्यात विशेषज्ञ के एक उच्च स्तरीय समूह की बैठक में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कोलंबो में फरवरी 2009 में आयोजित दक्षेस मंत्रियों की परिषद की 31वीं बैठक में दक्षेस अधिकार प्राप्त घोषणा को अपनाया गया था. भारत ने 9-10 फरवरी 2012 में नई दिल्ली में इसकी पहली बैठक का आयोजन किया था.
भारत दूसरी बार इस बैठक की मेजबानी आतंकवाद निरोधक गतिविधियों के लिए क्षेत्रीय सहयोग में अपनी उच्च प्राथमिकता के अनुसार ही कर रहा है क्योंकि आतंकवाद इस क्षेत्र और इससे बाहर भी शांति स्थिरता और प्रगति के लिए सबसे बडा खतरा बना हुआ है.