नयी दिल्ली: वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने आज संकेत दिया कि अगर देश ‘‘उच्च नैतिकता’ का रास्ता अपनाने के बदले सैन्य समाधान की दिशा में बढ़ता तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का होता.राहा ने यह भी कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध तक भारत की सरकार ने वायु शक्ति का पूर्ण उपयोग नहीं किया.
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POK आज भी कांटे की तरह चुभता है : वायुसेना प्रमुख
नयी दिल्ली: वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने आज संकेत दिया कि अगर देश ‘‘उच्च नैतिकता’ का रास्ता अपनाने के बदले सैन्य समाधान की दिशा में बढ़ता तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का होता.राहा ने यह भी कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध तक भारत की सरकार ने वायु शक्ति का पूर्ण […]
राहा ने असामान्य रुप से स्पष्ट बयान देते हुए पीओके को ‘‘हमेशा कष्ट देने वाला ‘ बताया और कहा कि भारत ने सुरक्षा जरुरतों के लिए ‘‘व्यवहारिक दृष्टिकोण’ नहीं अपनाया. उन्होंने कहा कि भारत का सुरक्षा वातावरण प्रभावित होता है और क्षेत्र में टकराव टालने के साथ साथ शांति सुनिश्चित करने के लिए सैन्य शक्ति के तहत एयरोस्पेस शक्ति की जरुरत होगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी विदेश नीति संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र, गुट निरपेक्ष आंदोलन घोषणापत्र और पंचशील सिद्धांत में निहित है.’ राहा ने यहां एक एयरोस्पेस सेमिनार में कहा कि हमने उच्च आदर्शों का पालन किया और मेरी राय में हमने सुरक्षा जरुरतों को लेकर व्यवहारिक दृष्टिकोण नहीं अपनाया.
हमने अनुकूल वातावरण बनाए रखने के लिए सैन्य शक्ति की भूमिका को एक हद तक नजरअंदाज किया.उन्होंने कहा कि विरोधियों का प्रतिरोध करने में, टकराव टालने में और जब विगत में कई बार देश को संघर्ष में शामिल होना पडा, एक देश के रुप में भारत सैन्य शक्ति का उपयोग करने के प्रति ‘‘अनिच्छुक’ था, खासकर वायु शक्ति में.राहा ने कहा कि 1947 में जब घुसपैठियों ने जम्मू कश्मीर में हमला किया तो भारतीय वायुसेना के परिवहन विमानों ने भारतीय सैनिकों और साजोसामान को लडाई के मैदान तक पहुंचाने में मदद की. उन्होंने कहा, ‘‘जब एक सैनिक समाधान नजर आ रहा था, उच्च नैतिकता का पालन कर, मैं समझता हूं कि हम इस समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र गए. समस्या अब भी बनी हुयी है.
पीओके हमारे लिए कष्ट का विषय बना हुआ है.’ राहा ने कहा कि 1962 में संघर्ष के भय से हवाई शक्ति का पूरा उपयोग नहीं किया गया. उन्होंने अफसोस जताया कि 1965 के युद्ध में हमने राजनीतिक वजहों से पूर्वी पाकिस्तान के खिलाफ हवाई शक्ति का उपयोग नहीं किया जबकि पाकिस्तानी वायुसेना पूर्वी पाकिस्तान से हमारे हवाई अड्डों, विमान, जमीन पर हमले करते रहे. हमें गंभीर झटके लगे लेकिन हमने कभी जवाबी कार्रवाई नहीं की.’ वायुसेना प्रमुख ने कहा कि सिर्फ 1971 में वायु शक्ति का पूरा उपयोग किया गया और तीनों सेनाओं ने मिलकर काम किया जिसके नतीजतन बांग्लादेश का निर्माण हुआ.उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन स्थिति बदल चुकी है. हम टकराव टालने के लिए और अपनी रक्षा करने के लिए हवाई शक्ति का उपयोग करने को तैयार हैं.
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