नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सभी श्रेणी के श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन में लगभग 50 प्रतिशत बढोतरी की घोषणा करते हुए उसे 14052 रुपये कर दिया है. साथ ही प्रधानमंत्री तथा देश भर में सभी मुख्यमंत्रियों से ऐसा करने का आग्रह किया है. केजरीवाल यहां छत्रसाल स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कैबिनेट न्यूनतम वेतन में संशोधन के प्रस्ताव को इसी सप्ताह मंजूरी देगा. उन्होंने कहा कि केवल धनाढयों के हित देखने वाली नीतियां काम नहीं करेंगी.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मेरी सरकार धनी, मध्यम व गरीब तबकों के लिए है. हालांकि आप सरकार ज्यादातर गरीबों व मध्यम वर्ग के लिए काम करती है. हम न्यूनतम मजदूरी में इसी सप्ताह लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि करने जा रहे हैं.’ सरकार के प्रस्ताव के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 14,052 रुपये होगा जो इस समय 9568 रुपये है. इसी तरह अर्ध कुशल व कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन बढाकर क्रमश: 10,582 रुपये व 15471 रुपये किया जाएगा जो कि इस समय क्रमश: 11622 रुपये व 17033 रुपये है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हाल ही में कुछ व्यापारी व उद्योगपति मेरे पास आये और बोले की सरकार ने न्यूनतम वेतन बढाया तो उनका मुनाफा घटेगा. मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि गरीबों को अधिक पैसे से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. केवल अमीरों के हित देखने वाली नीतियां कामयाब नहीं होंगी.’ केजरीवाल के अनुसार वे प्रधानमंत्री व सभी मुख्यमंत्रियों से भी इसी तरह कदम उठाने का आग्रह करते हैं ताकि गरीबों को फायदा हो.
दिल्ली में अंग्रेजों के जमाने का कानून चला रहा है केंद्र
पूर्ण राज्य की मांग की जोरदार पैरवी करते हुये दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र एक प्रणाली के जरिए चुनी गयी सरकार की शक्तियों को धीरे-धीरे कमजोर कर रहा है जो औपनिवेशिक ‘भारत सरकार कानून 1935′ द्वारा शासित होने की तरह है. यहां छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में केजरीवाल ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली के लोग ‘कम देशभक्ति’ और ‘अर्द्ध नागरिक’ हैं.
उन्होंने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनका लोकतांत्रिक अधिकार क्यों ‘छीना जा रहा है.’ मुख्यमंत्री ने दावा किया कि दिल्ली के नागरिकों को ऐसा महसूस कराया जा रहा है कि उन अन्य राज्यों की तुलना में उनके मतों का अधिकार कम है जहां पर मतदाताओं को ‘शक्ति के साथ सरकारों का चुनाव करने का अधिकार है.’
केजरीवाल ने कहा, ‘भारत सरकार कानून 1935 के तहत लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार था लेकिन अंग्रेज सरकार चलाते थे. इस समय केंद्र ने दिल्ली में अंग्रेजों के जमाने की व्यवस्था को लागू कर रखा है.’ उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में लोग मुख्यमंत्री, विधायक और सरकार का चुनाव कर सकते हैं लेकिन उन्हें पूरे अधिकारों के साथ शासन करने का अधिकार नहीं है. क्या हम अर्द्ध नागरिक हैं? मुझे समझ नहीं आता कि दिल्लीवासी कर का भुगतान हैं इसके बावजूद उनसे लोकतांत्रिक अधिकार छीने जा रहे हैं.’