नयी दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं. वे वहां सार्क यानी साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रिजनल कॉपरेशन की बैठक में शामिल होंगे. वहां दक्षिण एशियाई देशों के गृहमंत्रियों की कान्फ्रेंस होनी है, जिसमें आतंकवाद सहित अन्य मुद्दों पर बात होगी. भारत सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वहां आतंकवाद पर अवश्य बात होगी, लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान के किसी नेता या अधिकारी के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं करेंगे. ऐसे में सार्क के इस सम्मेलन में सार्क चार्टर ही वह हथियार होगा, जिससे राजनाथ पाकिस्तान व वहां की सरकार पर आतंकवाद के मुद्दे पर जोरदार वार करेंगे. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल व श्रीलंका की सदस्यता वाले सार्क के गृहमंत्रियों का सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब बांग्लादेश के ढाका पर आतंकी हमला हुआ है और कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हिंसा भड़की.येदोनों मुद्दे इस बैठक के लिए अहम हो सकते हैं.
बांग्लादेश के गृहमंत्री के गैर मौजूद रहने की संभावना
ढाका में हुए आतंकी हमले का घाव अभी ताजा है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना कह चुकी हैं कि वहां हुए हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का हाथ है. इससे बांग्लादेश व पाकिस्तान के रिश्ते तल्ख हैं. खबर है कि बांग्लादेश के गृहमंत्री इस सम्मेलन में नहीं शामिल होंगे. नेपाल व श्रीलंका के गृहमंत्री के भी शामिल होने की संभावना कम है. पर, उनके प्रतिनिधि शामिल होंगे और दक्षिण एशिया के आतंरिक सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा होगी तो स्वाभाविक रूप से आतंकवाद पर बात होगी.
राजनाथ की रणनीति, बुरहान वानी पर पाक को घेरो
गृहमंत्री राजनाथ सिंह सार्क के गृहमंत्रियों के सम्मेलन में आतंकवाद, घुसपैठ जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे. नरेंद्र मोदी के बाद पाकिस्तान के दौरे पर जाने वाले वे दूसरे अहम नेता होंगे. उनके दौरे का पहले ही आतंकवादी हाफिज सईद ने विरोध किया है और नवाज शरीफ सरकार को नसीहतें दीं. उसका बयान भी राजनाथ के लिए एक हथियार का काम करेगा कि किस तरह पाकिस्तान के अतिवादी तत्व खुलेतौर पर दूसरे देश के आंतरिक मुद्दों पर बोलते हैं और अपनी सरकार को भी धमकी देते हैं.
पिछले दिनों कश्मीर में मारे गये आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बुरहान वानी को पाकिस्तान ने शहीद बताया था. वानी पर 10 लाख का ईनाम घोषित था और वह कई पुलिसवालों व सुरक्षाकर्मियों पर हमले का दोषी था. पाकिस्तान की सरकार ने वानी के लिए 19 जुलाई को अपने देश में शहीदी दिवस भी मनाया.अपनेपड़ोसी देश के आतंकवादी को शहीद बताना पाकिस्तान की एक ऐसी भूल है, जिस पर राजनाथ पाकिस्तान की धरती पर ही उसे घेर सकते हैं और सवाल उठा सकते हैं.
सार्क चार्टर क्या कहता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यह कहते रहे हैं कि सार्क उतना सफल नही हो सका, जितना दुनिया के दूसरे देशों का सहयोग संगठन. वे चाहते हैं कि सार्क देशों में निर्बाधसड़क मार्ग से परिवहन व व्यापार हो और कृषि, विज्ञान आदि क्षेत्रों में वे सहयोग करें, लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा पाकिस्तान का आतंकवाद पर रुख ही है. सार्क चार्टर में स्पष्ट उल्लेख है कि इस संगठन की स्थापना शांति, प्रगति के लिए सहयोग बढ़ाने को किया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि सभी देश एक दूसरे की प्रभुता का सम्मान करेंगे. उनकी स्वतंत्रता व सीमा का सम्मान करेंगे अौर आंतरिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे. इसमें एक-दूसरे की सीमा क्षेत्र में घुसपैठ व हस्तक्षेप नहीं करने व अच्छे पड़ोसी का संबंध बनाये रखने की बात कही गयी है. और, पाकिस्तान ने किया है इसका ठीक उल्टा, जो उस पर ही भारी पड़ेगा.