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जब 2002 में सोमेश्वर से भाजपा ने अजय टम्टा को नहीं दिया था टिकट

नयी दिल्ली : आज मोदी कैबिनेट में जिन नए चेहरों को जगह दी गई है उनमें एक नाम है अजय टम्टा का जो उत्तराखंड की राजनीति में भाजपा में अहम रोल निभाते हैं. उत्तराखंड के तमाम दिग्गजों को पछाड़ते हुए अजय टम्टा ने नरेंद्र मोदी की टीम में जगह बनाई है. अजय टम्टा ने अपनी […]

नयी दिल्ली : आज मोदी कैबिनेट में जिन नए चेहरों को जगह दी गई है उनमें एक नाम है अजय टम्टा का जो उत्तराखंड की राजनीति में भाजपा में अहम रोल निभाते हैं. उत्तराखंड के तमाम दिग्गजों को पछाड़ते हुए अजय टम्टा ने नरेंद्र मोदी की टीम में जगह बनाई है. अजय टम्टा ने अपनी राजनीति जिला पंचायत सदस्य से शुरू की और अपने काम से उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट जगह पुख्‍ता की.

टम्टा भाजपा संगठन में अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. वे अल्मोड़ा जिले के दुगालखोला के एक दलित परिवार से संबंध रखते हैं. 16 जुलाई, 1972 को जन्में अजय टम्टा के राजनीतिक सफर की शुरुआत जिला पंचायत सदस्य के रूप में की.

टम्टा ने सबसे पहले जिले के तल्ला तिखून से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और विजयी रहे. इसके बाद टम्टा 1996 जिलापंचायत उपाध्यक्ष के पद की भी उन्होंने जिम्मेदारी बखूबी निभाई. सबसे रोच क बात यह है कि 2002 में सोमेश्वर से भाजपा से उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव लडे हालांकि उन्हें इस चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. 2007 में विधानसभा चुनाव में टम्टा को भाजपा ने टिकट दिया और व‍ह पार्टी की उम्मीद पर खरे भी उतरे. इस विधानसभा चुनाव में जीतकर अजय टम्टा खण्डूरी कैबिनेट में राज्य और कैबिनेट मंत्री बने.

2009 में टम्टा को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2012 में टम्टा एक बार फिर एमएलए चुने गए. भाजपा ने अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से टम्टा को 2014 में लोकसभा टिकट दिया जिसमें उन्होंने अपने विरोधी कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को पछाड़ दिया और यहां पार्टी का झंडा फहराया.

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