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12वीं के नतीजे के बाद बरतें कुछ सावधानियां

जीवन की हर समस्या का हल है आशीष आदर्श कैरियर काउंसेलर किसी महापुरुष ने एक बहुत सुंदर बात कही थी, ‘किसी समस्या का समाधान नहीं जानना उतने शर्म की बात नहीं, जितना कि उस समस्या के समाधान को खोजने के लिए तैयार नहीं होना’. हमारे जीवन में ऐसे कई मौके आते हैं, जब हम समझते […]

जीवन की हर समस्या का हल है
आशीष आदर्श
कैरियर काउंसेलर
किसी महापुरुष ने एक बहुत सुंदर बात कही थी, ‘किसी समस्या का समाधान नहीं जानना उतने शर्म की बात नहीं, जितना कि उस समस्या के समाधान को खोजने के लिए तैयार नहीं होना’. हमारे जीवन में ऐसे कई मौके आते हैं, जब हम समझते हैं कि इस धरती पर फलां समस्या का कोई हल नहीं है. यह विचार हमारे मन को अनिश्चितता और अविश्वास से भर देता है.
ये विचार हमें दिग्भ्रमित कर देते हैं और फिर हम उस समस्या का समाधान खोजने की चेष्टा तक छोड़ देते हैं. इसका परिणाम यह निकलता है कि जो सफलता या समाधान हमें मिल सकते थे, वे भी हमसे खो जाते हैं. जब हमें कोई समस्या बेहद विकट लगने लगे, तो जरूरत है दिमाग शांत करके उपलब्ध विकल्पों पर मंथन करने की. थोड़ी-सी बुद्धिमता और समझदारी हमें हमारे समाधान तक पहुंचा सकती है. मुझे एक कहानी का स्मरण हो रहा है.
एक गांव में एक किसान अपनी बेटी के साथ रहता था. किसान के पास कुछ जमीन थी, जिस पर वह खेती करता और उससे जो कमाई होती, उसी से अपना और अपनी बेटी का पेट पालता. एक बार गांव में भयंकर सूखा पड़ा, बारिश नहीं हुई. किसान की खेती तबाह हो गयी. अपने जीवनयापन के लिए उसे गांव के जमींदार से कर्ज लेना पड़ा. इस बीच उसे फिर कई बार कर्ज लेने की जरूरत पड़ी. कुछ समय बाद कर्ज चुकता करने की अंतिम तारीख आ गयी.
जमींदार अपना कर्ज वसूलने किसान के घर पहुंचा. किसान ने कहा कि उसकी फसल तबाह हो गयी है, इसलिए वह तुरंत कर्ज चुकाने में असमर्थ है. तभी जमींदार की नजर किसान की बेटी पर पड़ी, जो बेहद सुंदर थी. जमींदार ने किसान के सामने यह प्रस्ताव रखा कि यदि वह अपनी बेटी की शादी जमींदार से कर देगा, तो वह उसका सभी कर्ज माफ कर देगा. किसान नहीं माना. मामला पंचायत के पास गया. जमींदार ने अपना प्रस्ताव पंचायत के सामने दोहराया.
पंचायत ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि एक बर्तन में दो पर्ची डाली जायेगी, जिसमे एक पर्ची पर लिखा होगा, ‘किसान की बेटी जमींदार से शादी करेगी और किसान का सारा कर्ज माफ किया जायेगा’ और दूसरी पर्ची पर लिखा रहेगा, ‘किसान की बेटी जमींदार से शादी नहीं करेगी और किसान का सारा कर्ज माफ किया जायेगा’. पंचायत ने यह भी फैसला सुनाया कि किसान की बेटी को दोनों में से एक पर्ची निकालनी ही होगी, अन्यथा किसान का सर कलम कर दिया जायेगा. पंच बैठी, एक बर्तन लाया गया.
जमींदार ने बेईमानी से दो की जगह तीन पर्ची बना ली, जिनमे दो पर्ची में किसान की बेटी द्वारा शादी करने की बात लिखी गयी थी.
जमींदार ने सब की नजर बचा कर वही दोनों पर्ची उस बर्तन में डाल दी. ऐसा करते लड़की ने देख लिया, पर वह चुप रही. थोड़ी देर बाद, लड़की को एक पर्ची निकालने को कहा गया. लड़की के सामने यह दुविधा थी कि वह अब न भी नहीं बोल सकती थी. तभी लड़की ने एक पर्ची निकाली, और जानबूझकर उसे बगल के नाले में डाल दिया और पर्ची के नाले में गिर जाने का नाटक किया. जमींदार चिल्लाया, यह क्या किया. लड़की बोली, कोई बात नहीं, अब मैं दूसरी पर्ची निकालूंगी, उसमे जो लिखा है, उसी का उल्टा उस पर्ची में लिखा था, जो नाले में गिर गयी थी.
उसे ही मैं मान लूंगी. यह सुन कर जमींदार सन्न रह गया, उसे अब सारा खेल समझ आ गया था, परन्तु वह यह भी नहीं बोल सकता था कि उसने बेईमानी से एक जैसी ही दो पर्ची बर्तन में डाल दी थी. इस प्रकार, लड़की ने अपनी थोड़ी-सी सूझबूझ से एक बड़ी समस्या का हल निकाल लिया. देश के पूर्व राष्ट्रपति डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था, हमारे जीवन में समस्याओं का आना बेहत जरूरी है, अन्यथा हम सफलता का सही स्वाद नहीं ले पायेंगे.

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