देहरादून : उत्तराखंड में पिछले करीब दो महीने से चली आ रही राजनीतिक उठापटक और कानूनी दांवपेच आज एक लिफाफे में बंद हो चुका है जो कल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में खुलेगा. बहुमत परीक्षण के बाद कांग्रेस विधायकों के चेहरे पर खुशी देखकर साफ जाहीर हो रहा है कि सदन के अंदर जीत हरीश रावत की हुई है. विधानसभा के बाहर भाजपा विधायकों के बयान और कांग्रेस विधायकों के बयानों की तुलना की जाए तो इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा कि वोट ज्यादा किसके पक्ष में पड़े हैं. सूत्रों के अनुसार अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत को 34 वोट पड़े हैं जबकि भाजपा के पक्ष में मात्र 28 वोट पड़े हैं. हरीश रावत राजनीति के माहीर खिलाड़ी माने जाते हैं यही कारण है कि उन्हें 2014 में कांग्रेस ने उत्तराखंड की कमान सौंपी थी जिसपर वह आज भी खरे उतर रहे हैं.
मुरली मनोहर जोशी को हराया
हरीश रावत किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं लेकिन 2014 के बाद उत्तराखंड की कमान मिलने के बाद वह और भी चर्चे में आ गए. सूबे में विजय बहुगुणा जोशी के इस्तीफे के बाद केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया. अलमोड़ा के दिग्गज नेताओं में से हरीश रावत वह नेता हैं जिन्होंने 1980 में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को हराया था. 1980 में अपने पहले संसदीय चुनाव मे मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेता को पटखनी देकर रावत ने राजनीति में अपनी जगह बनाई.
संसद की सदस्यता
आपको बता दें कि हरीश रावत सांसद रह चुके हैं और राज्यसभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधत्व कर चुके हैं. 1980-84 सातवें लोकसभा चुनाव में जीत हसिल कर संसद में कदम रखा. 1984-89 में वे 8वें लोकसभा चुनाव में फिर से लोकसभा सदस्य बने. उन्होंने 1989 में 9वें लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार लोकसभा सदस्या हासिल की. हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1947 को अलमोड़ा जिले के मोहानारी गांव में एक राजपूत घराने में हुआ था. राजनीति में आने से पहले हरीश रावत ने लखनऊ विश्वविद्यालय से पहले ग्रेजुएशन की डिग्री ली और फिर एलएलबी की डिग्री ली.
ग्रामीण स्तर से राजनीति शुरू की
रावत ने पहले ग्रामीण स्तर से राजनीति शुरू की और फिर युवा कांग्रेस से जुड़ गये. हरीश रावत वर्ष 1980 तक कांग्रेस सेवा कमान के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वर्ष 2000 में हरीश रावत को पार्टी ने उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष चुना गया. 2002 में रावत को राज्यसभा का सदस्य चुना गया जिसके बाद 2009 के आम चुनाव में उन्होंने अपनी परंपरागत क्षेत्र अलमोड़ा को छोड़कर हरिद्वार से चुनाव लड़ा और 3 लाख 32 हतार 55 मतों से जीत हासिल की.