नैनीताल : कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने आज उत्तराखंड उच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने पार्टी नहीं छोडी बल्कि केवल मुख्यमंत्री तथा उनकी सरकार को हटाना चाहते थे ताकि किसी अन्य नेता के नेतृत्व में ‘बेहतर’ सरकार बनाई जा सके. उन्होंने न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी से कहा कि वे कांग्रेस के खिलाफ नहीं थे बल्कि इसे केवल ‘साफ’ करना चाहते थे क्योंकि उनका मानना था कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में सरकार ने पार्टी को अच्छी तरह पेश नहीं किया.
विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा अयोग्य घोषित किये जाने को चुनौती देने वाले विधायकों ने अदालत से कहा कि वे भाजपा के साथ हो गये थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने मत विभाजन की मांग को लेकर राज्यपाल को भेजे गये पत्र में हस्ताक्षर के दौरान भाजपा से ‘खुद को अलग बताया’ था. विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम ने दलील दी कि सत्तारुढ पार्टी के एक सदस्य द्वारा सरकार का विरोध ‘स्वस्थ लोकतंत्र’ का हिस्सा है और इसका तात्पर्य पार्टी छोडना या दलबदल करना नहीं है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ‘मान रहे हैं कि सरकार और पार्टी एक ही हैं’ और अगर इस नजरिये को स्वीकार किया जाता हो तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है. उन्होंने कहा, ‘तो फिर सत्तारुढ पार्टी का कोई भी सदस्य सरकार की आलोचना नहीं कर पाएगा.’