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कांग्रेस को अपने इतिहास का ही बदनुमा आईना देखना पडेगा :नकवी

नयी दिल्ली : सोमवार को शुरू हो रहे संसद सत्र में कांग्रेस पार्टी द्वारा उत्तराखंड मुद्दे पर राज्यसभा में निंदा प्रस्ताव लाने की आलोचना करते हुए सरकार ने कहा कि इस बहाने कांग्रेस ‘विकास पर पलीता’ लगाने का प्रयास रही है और पिछले दो वर्षो से किसी न किसी बहाने संसद का कामकाज बाधित करती […]

नयी दिल्ली : सोमवार को शुरू हो रहे संसद सत्र में कांग्रेस पार्टी द्वारा उत्तराखंड मुद्दे पर राज्यसभा में निंदा प्रस्ताव लाने की आलोचना करते हुए सरकार ने कहा कि इस बहाने कांग्रेस ‘विकास पर पलीता’ लगाने का प्रयास रही है और पिछले दो वर्षो से किसी न किसी बहाने संसद का कामकाज बाधित करती रही है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का मुद्दा उठाने से कांग्रेस को अपने इतिहास का ही बदनुमा आईना देखना पडेगा. केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘‘ उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन इसलिए लगाया गया क्योंकि संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी.

खुलेआम विधायकों की खरीद फरोख्त हो रही थी और इसमें एक स्टिंग आपरेशन में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को शामिल दिखाया गया था। केंद्र ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए केवल विधानसभा निलंबित की, उसे बर्खास्त नहीं किया.” उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति शासन के बहाने कांग्रेस ‘विकास पर पलीता’ लगाने का प्रयास रही है और पिछले दो वर्षो से किसी न किसी बहाने संसद का कामकाज बाधित करने का प्रयास करती रही है. उत्तराखंड का मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है. इस पर नियमों के तहत चर्चा नहीं हो सकती. लेकिन कोई चर्चा चाहता है तब हम जवाब देने को तैयार हैं. ”

नकवी ने कहा कि कांग्रेस अगर इस पर चर्चा करेगी तो उसे शार्मिंदगी उठानी पडेगी. ‘‘ इस विषय पर चर्चा कराने से उसे अपने इतिहास का बदनुमा आईना देखना पडेगा. ” संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रपति शासन को मुद्दा बनाकर संसद नहीं चलने देने की बात कर रही है. लेकिन राज्यों में 100 बार राष्ट्रपति शासन लगा है जिसमें से 88 बार कांग्रेस शासन के दौरान लगाया गया. इस 88 में से 50 बार इंदिरा गांधी के समय में राष्ट्रपति शासन लगाया गया.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राष्ट्रीय स्तर पर गैर भाजपा मोर्चा बनाने की पहल के बारे में पूछे जाने पर नकवी ने कहा, ‘‘ यह हताश एवं निराश लोगों का प्रयास है जो पहले गैस कांग्रेसवाद के नाम पर राजनीति करते थे और अब खुद ही कांग्रेस की गोद में बैठ गए है.” बिहार के मुख्यमंत्री की पहल पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ जाने के बाद अब वे गैर भाजपावाद का ‘विलाप’ कर रहे हैं लेकिन उनका सपना साकार नहीं होने वाला है. ‘‘ क्योंकि इनके पास न कोई नीति है और न ही नेतृत्व. इनकी नीति केवल भाजपा का विरोध है और नेतृत्व बिखरा हुआ है. ये अपनी राजनीतिक पहचान और अस्तित्व बचाने की जुगत में लगे हैं.”

संसद सत्र के दौरान कामकाज के बारे में एक सवाल के जवाब में नकवी ने कहा कि सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित होने हैं. वित्त विधेयक, रेलवे की अनुपूरक मांगों एवं संबंधित विनियोग विधेयक पास होना है. इसके साथ ही कई मंत्रालयों के अनुदानों पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि देश में सूखे से उत्पन्न स्थिति पर हम सदन में चर्चा को तैयार हैं.

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