हरिद्वार : द्वारिका-शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शनि शिगणापुर मंदिर में महिलाओं की पूजा और साई की पूजा पर टिप्पणी करते हुए महाराष्ट्र में आए भीषण सूखे को साईं पूजा से जोड़ दिया. वहीं शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर कहा कि अगर महिलाएं शनि की पूजा करेंगी, तो उनके साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ जायेंगी.
शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और पूजा से 400 साल पूरानी परंपरा टूट गयी. इस परंपरा के टूटने के बाद साधु संतों की मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है. वही पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने इस घटना के बाद कहा कि महिलाओं को शनि के शामने नहीं जाना चाहिए. इससे अनिष्ट हो सकता है. महिलाएं हर क्षेत्र में आगे निकलें लेकिन धर्म के मामले में उन्हें मान्यता और नियमों के हिसाब से चलना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंदिर में भगवान की प्रतिमा का स्पर्श और पूजा का अधिकार केवल उस मंदिर के पुजारी का ही होता है, बाकी सभी को दूर से दर्शन कर फल की प्राप्ति होती है.
शंकराचार्य ने साई की पूजा पर भी टिप्पणी की उन्होंने कहा, साईं पूजा की वजह से महाराष्ट्र में सूखा पड़ा है. उनका कहना है कि महाराष्ट्र के लोग साईं बाबा की पूजा करते हैं और यह सूखा उसी का नतीजा है.एक दिन की यात्रा पर हरिद्वार पहुंचे शंकराचार्य ने ये बातें कही. उन्होंने कहा कि साईं एक फकीर थे और एक भगवान के तौर पर उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए. उनकी पूजा पूरी तरह से अशुभ है. उन्होंने कहा सूखे जैसी आपदा का प्रभाव अयोग्य लोगों की पूजा के कारण आता है. जहां के लोग अयोग्य लोगों की पूजा करते हैं वैसी जगहों पर ही सूखे, प्राकृतिक आपदा आती है और लोगों की मौत होती हैं. महाराष्ट्र का सूखा भी इसी का एक कारण है.
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब शंकराचार्य ने साईं को लेकर ऐसे विवादित बयान दिए हों और मीडिया में छाए हों. वे पहले भी साईं पूजा को मान्यता देने का विरोध कर चुके हैं. साल 2014 में उन्होंने साईं पूजा का विरोध करने के लिए एक धर्म संसद का भी आयोजन किया था. इस धर्म संसद में सर्वसम्मति के साईं पूजा का बहिष्कार करने का ऐलान किया गया था.