नयी दिल्ली : देश के कई हिस्सों में भूजल स्तर में लगातार गिरावट आने के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि सरकार पांच लाख खेत-तालाब बनाने जा रही है और मनरेगा के तहत भी इस पहल को जोडा गया है. उन्होंने लोगों से पानी के महत्व को समझने और जल संचय प्रयासों से जुडने का अनुरोध किया. आकाशवाणी पर आज प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आपने देखा होगा कि हमने 5 लाख तालाब, खेत-तालाब बनाने का बीडा उठाया है. मनरेगा से भी जल संचय के लिए आस्ति सृजित करने की तरफ बल दिया है. गांव-गांव पानी बचाओ, आने वाली बारिश में बूंद-बूंद पानी कैसे बचाए. गांव का पानी गांव में रहे, ये अभियान कैसे चलायें, आप योजना बनाइए, सरकार की योजनाओं से जुडिए ताकि एक ऐसा जन-आंदोलन खडा करें. हम पानी का माहत्म्य समझें और पानी संचय के लिए हर कोई जुडे.’
मोदी ने कहा कि देश में कई ऐसे गांव होंगे, कई ऐसे प्रगतिशील किसान होंगे, कई ऐसे जागरुक नागरिक होंगे जिन्होंने इस काम को किया होगा. लेकिन फिर भी अभी और ज्यादा करने की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री ने किसानों से खेतों में कम रासायनिक उर्वरक डालने और वैज्ञानिक पद्धति से खेती को आगे बढाने के साथ ‘कम लागत, अधिक पावत’ मंत्र को अपनाने का सुझाव दिया.
उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के बारे में आपने बहुत सुना होगा. कुछ लोगों को लगता है कि डिजिटल इंडिया तो केवल शहर के नौजवानों की दुनिया है. लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि आपको खुशी होगी कि एक किसान सुविधा एप आप सब की सेवा में प्रस्तुत किया है. ये किसान सुविधा एप के माध्यम से आपको कृषि सम्बन्धी, मौसम सम्बन्धी बहुत सारी जानकारियां अपनी हथेली में ही मिल जाएगी. बाजार का हाल क्या है, मंडियों में क्या स्थिति है, इन दिनों अच्छी फसल का क्या दौर चल रहा है, दवाइयां कौन-सी उपयुक्त होती हैं? इतना ही नहीं इसमें एक बटन ऐसा है कि जो सीधा-सीधा आपको कृषि वैज्ञानिकों के साथ जोड देता है. अगर आप अपना कोई सवाल उसके सामने रखोगे तो वो जवाब देता है.
उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि इस बारे में कुछ कमी महसूस होती है तो वे उन्हें शिकायत भी भेज सकते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि बाकी लोगों के लिए यह समय छुट्टियों का होता है लेकिन किसान के लिए तो और भी पसीना बहाने का अवसर बन जाता है. वो वर्षा का इंतजार करता है और इंतजार के पहले किसान अपने खेत को तैयार करने के लिए जी-जान से जुट जाता है, वो बारिश की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देना चाहता है.
उन्होंने कहा कि किसान के लिए, किसानी का मौसम शुरु होने का समय बडा ही महत्वपूर्ण होता है. लेकिन हम सभी को सोचना होगा कि पानी के बिना क्या होगा? हम अपने तालाब, अपने यहां पानी बहने के रास्ते, तालाबों में पानी के मार्ग पर कूडा-कचरा जमा होने या अतिक्रमण होने को ठीक कर सकते हैं जिससे पानी आना बंद हो जाता है और उसके कारण जल-संग्रह धीरे-धीरे कम होता जा रहा है.
मोदी ने कहा कि क्या हम उन पुरानी जगहों को फिर से एक बार खुदाई करके, सफाई करके अधिक जल-संचय के लिए तैयार कर सकते हैं. जितना पानी बचायेंगे, उतना लाभ होगा. हाल ही में आयोजित किसान मेले का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों भारत सरकार ने बहुत बडा किसान मेला लगाया था जिसमें कृषि क्षेत्र में आए बदलाव को देखने का मौका मिला. लेकिन कृषि क्षेत्र में हद से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बर्बादी का कारण बन जायेगा.
हर चीज संतुलित होनी चाहिये और इससे खर्च भी कम होगा, पैसे आपके बचेंगे. मोदी ने कहा कि हमारा तो मत है – कम लागत, ज्यादा पावत, इसी मंत्र को ले करके चलना चाहिए और वैज्ञानिक तौर-तरीकों से हम अपने कृषि को आगे बढाना चाहिए. मैं आशा करता हूं कि जल संचय में जो भी आवश्यक काम करना पड़े, हमारे पास एक-दो महीने हैं बारिश आने तक, हम पूरे मनोयोग से इसको करें. जितना पानी बचेगा किसानी को उतना ही ज्यादा लाभ होगा, जिन्दगी उतनी ही ज्यादा बचेगी.